यूं तो…
यूँ तो हर कोई यहां है दुखों से भरा हुआ।
फिर भी हर किसी का चेहरा खिला हुआ।।
चेहरे के भीतर तैरते हुए जख्म ही जख्म।
क्या कहें अपना वजूद है कुछ मिटा हुआ।।यूं तो..
दिल में है एक चीख़,वो भी बड़ी रोती हुई।
गला है रुंधा सा और दिल भी भरा हुआ।।
हर कोई इन सैलाब को न जाने-पहचाने ।
एक समंदर है,दिल भी उसमें डूबा हुआ।। यूं तो..
- डॉ. ललित योगी