अल्मोड़ा: डाॅक्टर्स बने भगवान: मंगल सिंह को दी दूसरी जिंदगी, आर्थिक तंगी से परेशान होकर खाया विषाक्त पदार्थ, डॉक्टर ने ऐसे बचाई जान

अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी से मंगल सिंह के सकुशल डिस्चार्ज होने की खबर एक उत्साहजनक घटना है।

समय से अस्पताल में कराया भर्ती

मिली जानकारी के अनुसार विषाक्त पदार्थ का सेवन और अस्पताल में भर्ती मंगल सिंह ने आर्गेनाएफोस्फोरस का सेवन कर लिया, जो कि एक खतरनाक विष है और आमतौर पर कीटनाशकों में पाया जाता है। इस विष का सेवन करने के तुरंत बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। परिवार वालों ने जल्द से जल्द उन्हें जिला चिकित्सालय पहुंचाया। अस्पताल पहुंचने पर उन्हें तत्काल चिकित्सा देखभाल उपलब्ध करवाई गई। जिसके बाद समय पर चिकित्सा सुविधा मिलने से उनकी जान बच गई। जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ नवीन सेमवाल ने मंगल सिंह का उपचार किया गया। 7 मई को ही मरीज की हालत को देखते हुए वेंटीलेटर पर रखा गया।

बचाई जान

उन्हें प्राथमिक उपचार के रूप में गैस्ट्रिक लैवेज (पेट की सफाई) और एट्रोपिन इंजेक्शन दिए गए, जो इस प्रकार के विष के प्रभाव को कम करने में मददगार होते हैं। इसके अलावा, उन्हें कुछ अन्य जरूरी दवाइयां और सपोर्टिव थेरेपी भी दी गईं।जिसमें निशचेतक डॉ अभिषेक नौटियाल, डॉ आभा सेमवाल, डॉ निकिता की सूझ बूझ से 13 मई को गले में चीरा लगा कर सफल ट्रैकिंयोस्टामि की गयी।

आर्थिक तंगी से परेशान थे मंगल सिंह

मंगल सिंह एक साधारण परिवार से है। जो जंगल में बकरी चराते हैं। उन्होंने आर्थिक तंगी के चलते आर्गेनाएफोस्फोरस का सेवन कर लिया था। मंगल सिंह को अस्पताल में 26 दिनों तक भर्ती रहना पड़ा।

आयुष्मान कार्ड से हुआ निशुल्क इलाज

मंगल सिंह का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है। मंगल सिंह के पास आयुष्मान कार्ड था, जिसके चलते उनका सारा इलाज मुफ्त में हुआ। इस कार्ड के कारण उनके परिवार को आर्थिक बोझ से बचाव मिला और उनकी जान बचाई जा सकी।

रहा अहम योगदान

जिला चिकित्सालय की सेवाएं और वहाँ के नर्सिंग अधिकारीयों का योगदान अहम हिस्सा है। डॉक्टरों की कुशलता, नर्सिंग अधिकारी की देखभाल और अन्य स्टाफ के सहयोग से ही मंगल सिंह की जान बचाई जा सकी। हर दिन उन्हें सही दवाइयां और उपचार दिए गए, जिससे उनकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होता गया। मंगल सिंह के परिवार का सहयोग भी उनके इलाज के दौरान बहुत महत्वपूर्ण रहा। परिवार वालों ने निरंतर उनके पास रहकर उन्हें मानसिक समर्थन दिया। अस्पताल से डिस्चार्ज होते समय डॉक्टरों ने उन्हें कुछ निर्देश दिए, जैसे कि नियमित दवाइयां लेना, उचित खान-पान का ध्यान रखना और मानसिक तनाव से बचना। आई सी यू की टीम में इंचार्ज अंजना शर्मा, गिरीश उनियाल, रूचि राणा, रजनी, रेखा, रतन, अखिलेश, अंकित, मंजू,अनुराधा, प्रेम बहादुर, राखी, आइरीना, भारती, सुनील, संदीप, उपेंद्र,पवन आदि नर्सिंग अधिकारी एवं कर्मचारियों के द्वारा सेवाएं दी गयी।

मंगल सिंह का सकुशल डिस्चार्ज होना एक सकारात्मक संदेश

मंगल सिंह का सकुशल डिस्चार्ज होना एक सकारात्मक संदेश देता है कि सही चिकित्सा देखभाल और सरकारी योजनाओं के सहयोग से किसी भी गंभीर स्थिति से निपटा जा सकता है। यह घटना न केवल मंगल सिंह और उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है। इसके माध्यम से यह संदेश मिलता है कि विषम परिस्थितियों में भी धैर्य और उचित चिकित्सा से जीवन को बचाया जा सकता है।