आज 16 मार्च 2025 है। आज भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी है। हिंदू धर्म में संकष्टी चुतुर्थी का व्रत बहुत पावन माना गया है। यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। हर माह पड़ने वाले संकष्टी चतुर्थी व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। चैत्र माह में जो संकष्टी चतुर्थी पड़ती है उसको भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित पर्व है। मान्यता है इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से सारी दुख-परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
जानें शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत आज 17 मार्च को रात 7 बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 18 मार्च को रात 10 बजकर 9 मिनट पर होगा। इस दिन चंद्रोदय के समय पूजा का विधान है। ऐसे में 17 मार्च को ही भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी और व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा।
ऐसे करें पूजन
आज प्रात: स्नान करने के बाद सबसे पहले सूर्य देव की पूजा करके उनको जल अर्पित करें । उसके बाद हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर विनायक चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा का संकल्प ले। पूजा के शुभ मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करें । उनको जनेऊ, वस्त्र, मौली, सिंदूर, चंदन, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, दुर्वा, लाल पुष्प, माला, फल, हल्दी आदि अर्पित करते हुए पूजा करें । अब गणपति बप्पा को उनका पसंदीदा भोग मोदक या फिर बूंदी के लड्डुयों का भोग अर्पित करें । उसके बाद गणेश चालीसा और विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें । इसके बाद गणेश जी की घी से आरती करें । उसके पश्चात पूजा में कमियों के लिए क्षमा मांग लें और जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता प्रदान करने या मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें । आज आप ओम गं गणपतये नम: का मंत्रो का उच्चारण करते रहें ।आज के दिन आप चंद्रमा न देखें, इससे आप पर कोई झूठा आरोप लग सकता है। आज आप अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र, अन्न, धन आदि का दान भी कर सकते हैं।