मेरे तीन उपास्य देवता ज्ञान, स्वाभिमान और शील, डॉक्‍टर भीम राव अंबेडकर : संविधान के पिता की जयंती आज

राष्‍ट्र आज भारतीय संविधान के मुख्य शिल्‍पी डॉक्‍टर भीम राव अंबेडकर को उनकी एक सौ 32वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। इस अवसर पर देशभर में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। डॉक्टर अंबेडकर कहते थे-“मेरे तीन उपास्य देवता हैं। ज्ञान, स्वाभिमान और शील”।यानी, Knowledge, Self-respect, और politeness।जब Knowledge आती है, तब ही Self-respect भी बढ़ती है। Self-respect से व्यक्ति अपने अधिकार, अपने rights के लिए aware होता है, और Equal rights से ही समाज में समरसता आती है, और देश प्रगति करता है। हम सभी बाबा साहेब के जीवन संघर्ष से परिचित हैं।

पूरा जीवन जनहित के लिए समर्पित किया

एक महान समाज सुधारक, अर्थशास्‍त्री और कुशाग्र राजनीतिज्ञ डॉक्‍टर बी.आर. आम्‍बेडकर ने अपना पूरा जीवन जनहित के लिए समर्पित कर दिया। वंचित वर्गों के प्रति सामाजिक और जातिगत भेदभाव समाप्‍त करने के लिए वे जीवनभर संघर्षरत रहे। वह स्‍वतंत्र भारत के पहले विधि और न्‍याय मंत्री बनाये गये। वर्ष 1990 में उन्‍हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न से अलंकृत किया गया।

दूरदर्शी नेताओं में से एक थे डॉ. भीम राव अम्बेडकर

डॉ. भीम राव अम्बेडकर भारत के सबसे दूरदर्शी नेताओं में से एक थे, जिनके समानता और स्वतंत्रता के विचारों ने भारत की नीति को आकार दिया। डॉ. अंबेडकर के उच्च मूल्य और सिद्धांत पूरे देश में लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। भारतीय संविधान के निर्माण में उनके अपार योगदान के लिए उन्हें ‘भारतीय संविधान का जनक’ भी कहा जाता है। इसके अलावा, डॉ.अम्बेडकर आजादी के बाद भारत के पहले कानून मंत्री थे। मध्य प्रदेश में एक महार दलित परिवार में पैदा होने से लेकर अपने समय के सबसे शिक्षित भारतीयों में से एक डॉ. बीआर अंबेडकर की जीवन यात्रा बाधाओं और चुनौतियों से भरी थी। यही कारण है कि उनके उद्धरण और कथन आज भी लाखों लोगों के जीवन में मशाल लेकर चलते हैं।

जानें उनके बारे में

डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। वे अपने माता-पिता की चौदहवीं और आखिरी संतान थे।उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश आमरी में सूबेदार और संत कबीर के अनुयायी थे।उन्होंने बड़ौदा के महामहिम सयाजीराव गायकवाड़ से छात्रवृत्ति के साथ बॉम्बे के एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक किया। बाद में, उन्होंने बड़ौदा संस्थान को अपनी सेवा दी। बाद में वे उच्च अध्ययन के लिए एक विद्वान के रूप में चुने जाने के बाद अमरीका चले गए।उन्होंने अपना एमए और पीएचडी पूरा किया। 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से।उन्होंने कोल्हापुर के महाराजा से वित्तीय सहायता प्राप्त करके लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में आगे की पढ़ाई पूरी की।13 अक्टूबर, 1935 को उन्होंने आने वाले समय में धर्म परिवर्तन की चौंकाने वाली घोषणा की थी।”मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ था, लेकिन मैं एक हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा,” उन्होंने 13 अक्टूबर, 1935 को नासिक जिले में आयोजित दलित वर्गों के एक प्रांतीय सम्मेलन में घोषणा की।उनकी पुण्यतिथि को पूरे भारत में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।हमारे व्यक्तित्व में आत्मविश्वास की भावना प्रबल हो और हमें अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करने की शक्ति प्रदान करे। अंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं

आइए हम भारत के विकास में डॉ. भीम राव अंबेडकर के उल्लेखनीय योगदान को याद करते हुए उनकी कड़ी मेहनत और बलिदान का सम्मान करें

डॉ. बीआर अम्बेडकर एक शाश्वत आत्मा हैं जो लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती हैं और हमें हर दिन याद दिलाती हैं कि केवल हम ही हमारे दुखों और सफलता के लिए जिम्मेदार हैं।
भारतीय संविधान के जनक’ डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के शीर्ष उद्धरण

👉जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक कानून द्वारा प्रदान की गई कोई भी स्वतंत्रता आपके किसी काम की नहीं है।

👉मैं उस धर्म को पसंद करता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।

👉शिक्षित बनो, संगठित रहो, और आंदोलित रहो।

👉मन की स्वतंत्रता ही वास्तविक स्वतंत्रता है।

👉मुझे लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को स्थापित करने वाले संविधान के लिए अपने देश, भारत पर गर्व है।

👉जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।

👉मैं नहीं चाहता कि भारतीयों के रूप में हमारी वफादारी किसी प्रतिस्पर्धी वफादारी से थोड़ा भी प्रभावित हो, चाहे वह वफादारी हमारे धर्म से, हमारी संस्कृति से या हमारी भाषा से पैदा हुई हो।

👉मैं किसी समुदाय की प्रगति को उस प्रगति की डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।

👉बुद्ध की शिक्षाएँ शाश्वत हैं, लेकिन फिर भी बुद्ध ने उन्हें अचूक घोषित नहीं किया।