नवीन शिक्षा नीति ने समस्त मातृभाषाओं के विकास का गवाक्ष खोल दिया है – प्रो.रवि टेकचंदानी

शिक्षा,संस्कृति उत्थान न्यास ,भारतीय भाषा मंच और अध्ययन एवं अनुसन्धान पीठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय तरंग संगोष्ठी का मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में एक वृहद आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की मुख्य समन्वयक दिल्ली विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर माला मिश्र थीं। जिन्होंने इस संगोष्ठी का सफलतापूर्वक संचालन किया। संगोष्ठी का शुभारंभ अतुल कोठारी  ने और श्री योगेश भारद्वाज ने सरस्वती वंदना एवं कल्याण मंत्र का गायन  किया।
‘भारतीय भाषाओं के विकास का नया प्रस्थान बिंदु : नई शिक्षा नीति’ विषयक इस ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी में  दोनों  ही दिन देश भर के  रचनाकार,साहित्यकार ,पत्रकार ,विद्वान ,भाषाविद ने बातें रखी। 

सभी ने अपने विचार मातृभाषा और नई शिक्षा नीति के संदर्भ में विस्तार से बात रखी

केंद्रीय हिंदी शिक्षण संस्थान के श्री अनिल शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो .रवि टेकचंदानी , भारतीय ऐतिहासिक अनुसन्धान परिषद के सदस्य सचिव प्रो कुमार रत्नम, मेघालय की डॉ .फिल्मेका मारबेनियांग ,  चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के आई.आई. एम.टी . कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष  डॉ . राकेश कुमार दुबे, कर्नाटक के गणेश हेगड़े , महाराष्ट्र की  डॉ.सविता धूड़केवार,तमिलनाडु की डॉ .पी. सरस्वती, हिमाचल के नवनीत शर्मा,कश्मीर की डॉ.बीना बुदकी , विद्या भारती के निदेशक प्रो. रामेंद्र सिंह ,वरिष्ठ संघ प्रचारक माननीय लक्ष्मीनारायण भाला ,गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ . विष्णु पंड्या, प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. गिरीश पंकज , प्रसिद्ध समालोचक डॉ. संदीप अवस्थी , प्रो.इंदु वीरेंद्र ,सिक्किम विश्वविद्यालय से डॉ नीलाद्रि बैग तथा श्री लक्ष्मण अधिकारी ,बिहार ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष डॉ. गिरीश नाथ झा इत्यादि विद्वान सम्मिलित हुए।सभी ने अपने विचार मातृभाषा और नई शिक्षा नीति के संदर्भ में विस्तार से बात रखी।

नई शिक्षा नीति ने समस्त भारतीय भाषाओं के विकास का गवाक्ष खोल दिया है

संगोष्ठी में बीज वक्ता माननीय अतुल कोठारी ने अपने वक्तव्य में कहा-माँ ,मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है।
प्रो. रवि टेकचंदानी ने कहा -” नई शिक्षा नीति ने समस्त भारतीय भाषाओं के विकास का गवाक्ष खोल दिया है।”
समस्त विद्वानों की विचारोत्तेजक चर्चा-परिचर्चा के माध्यम से हुए मंथन से  राष्ट्र के  विकास का यही सूत्र निकल कर आया कि
निज भाषा उन्नति अहे ,सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के ,मिटत न हिय को शूल।।
संगोष्ठी में भारतीय भाषा मंच के दिल्ली प्रान्त संयोजक डॉ .लोकेश गुप्ता ने समस्त विद्वानों का  धन्यवाद ज्ञापन किया।

रिपोर्ट:
डॉ. ललित चंद्र जोशी
प्रभारी,
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा परिसर, उत्तराखंड।