आज 26 जनवरी है। आज बसंत पंचमी का त्यौहार और गणतंत्र दिवस है। बंसत पंचमी का दिन उत्तराखंड में सबसे पवित्र दिनों में एक माना जाता है। स्थानीय भाषा में इसे सिर पंचमी भी कहा जाता है। उत्तराखंडी समाज में बसंत पंचमी का महत्व उसी तरह है जिस तरह मकरैणी यानी मकर संक्रांति का। पंचमी पर स्नान आदि का महत्व है और इस दिन लोग मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं।
खेतों में होता है बुआई का काम
यह ऋतु पर्व ग्रामीण समाज के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि करीब छह माह के ब्रेक के बाद फिर से खेतों में बुआई का काम इसी दिन से शुरू होता है। आज शुभ कार्य किए जाते हैं।
उत्तराखंड वासियों के लिए खास होता है बसंत पंचमी पर्व
बसंत पंचमी उत्तराखंड में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार वसंत ऋतु के भव्य स्वागत को दर्शाता है। सर्दी से थकी हुई आत्मा मीठे वसंत के आगमन की जय-जयकार करती है जब फूल खिलते हैं, पक्षी गाते हैं, शानदार धूप की किरणें और ठंड अब चुभती नहीं है। बसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। बसन्त पंचमी के दिन देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जौ काटते हैं और भगवान को चढ़ाते हैं। और इस दिन गोबर के साथ जौ घर की चौखट पर लगा पर लगाई जाती हैं जो कि सुख व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है ये एक हरियाली का प्रतीक भी है। और परिवार में सब लोग एक दूसरे के सिर में भी जौ रखते है । बसंत पंचमी से एक दिन पहले लोग मिठाईयां वह पीले वस्त्र और रूमाल खरीदते हैं।
पहाड़ में पैट-अपैट की मान्यता
पैट-अपैट को लेकर पहाड़ों में खूब मान्यता रहती है।पहाड़ियों के काज-काम भी इसी पैट-अपैट के अनुसार होते हैं। किसी भी काज-काम के लिये पैट होना अनिवार्य है। पैट का शाब्दिक अर्थ हिन्दी महीने की तारीख से है। काम-काज के अर्थ में पैट का मतलब शुभ दिन है। पैट-अपैट की गणना कुंडली के अनुसार पंचांग देखकर की जाती है। यह माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन सभी शुभ कार्य किये जा सकते हैं। यही वजह है कि पहाड़ों में आज के जनेऊ और विवाह जैसे शुभ कार्य बिना लगन के खूब किये जाते हैं।
बसंत पंचमी में मां सरस्वती की होती है पूजा-
बसंत पंचमी के अवसर पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार ये विद्या और संगीत की देवी हैं। वह अत्यधिक पूजनीय और सम्मानित हैं, और लोग उनसे प्रार्थना करके उनका आशीर्वाद मांगते हैं। वे चाहते हैं कि वह उन्हें ज्ञान का खजाना प्रदान करे।
उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्यौहार
ढोल-नगाड़ों की आवाज से वातावरण गूंज उठता है। और इसी तरह उत्तराखंड के लोग बसंत या बसंत के स्वागत के लिए चुनते हैं। बसंत पंचमी के अवसर पर चौंफुला और झुमेलिया नृत्य भी किया जाता है। इस दिन सभी लोग पीले वस्त्र और पीले रुमाल का प्रयोग करते हैं और माथे पर पीले रंग का तिलक लगाते हैं क्योंकि पीला रंग उनका प्रिय रंग माना जाता है। इतने चमकीले रंग के कपड़ों में सजे सभी लोगों का नजारा मनमोहक होता है।उत्तराखंड के ऋषिकेश में बसंत पंचमी के अवसर पर भरत मंदिर के परिसर में मेला लगता है। फिर, एक भव्य जुलूस में, भगवान भरत की मूर्ति को कस्बे से ले जाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मूर्ति को जगत गुरु शंकराचार्य ने इसी दिन मंदिर में स्थापित किया था।
जाने शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस बार पंचमी तिथि की शुरुआत 25 जनवरी 2023 को दोपहर 12.34 मिनट से शुरू हो रही है और ये अगले दिन 26 जनवरी 2023 को दोपहर 12.35 मिनट तक चलेगी। ऐसे में 26 जनवरी को बसंत पंचमी की उदयतिथि होगी।