World Cancer Day: कैंसर पीड़‍ितों के लिए वरदान साबित हो सकती है समय पर जांच, जानें भारत में कैंसर से जुड़े‌ कुछ तथ्य

आज‌ 04 फरवरी 2023 है। हर‌ साल आज के दिन विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे उद्देश्य ये है कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक और इसके लक्षण से लेकर इसके बचाव के बारे में जानकारी दी जा सके।

2020 में जब कोविड-19 आया तो हाहाकार मच गया, हर जगह एक डर का माहौल बन गया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह वायरस बेहद खतरनाक है। इस चपेट में आने वाले लोगों की सांसें कब रुक जाएं किसी को पता नहीं होता, लेकिन इसके अलावा भी तमाम बीमारियां हैं, जो हर साल लाखों लोगों का मौत के घाट उतार देती हैं। उनमें सबसे खतरनाक बीमारी है कैंसर। पिछले तीन- चार वर्षों में हर साल देश में करीब 7 लाख लोगों की मौत कैंसर से हुई। दरअसल यह आंकड़ा नीचे आ सकता है, अगर लोग समय रहते जांच करवा लें। जी हां समय पर जांच कैंसर पीड़‍ितों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

विश्व कैंसर दिवस

विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर वर्ष 1933 में पहला कैंसर दिवस जिनेवा, स्विट्जरलैंड में मनाया गया था। तबसे अब तक हर साल कैंसर दिवस पर नई थीम जारी की जाती है। इसके पीछे उद्देश्य ये है कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक और इसके लक्षण से लेकर इसके बचाव के बारे में जानकारी दी जा सके। कैंसर को लेकर कई लोगों में गलतफहमी होती है कि ये छूने से भी फैलता है। जिसके कारण लोग कैंसर के रोगियों से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि ये धारणा पूरी तरह गलत है।

उत्तराखंड में बनेगा कैंसर नियंत्रण बोर्ड

जानलेवा बीमारी कैंसर से बचाव और उपचार के लिए उत्तराखंड में कैंसर नियंत्रण बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर कवायद चल रही है। बोर्ड बनने के बाद कैंसर से ग्रसित मरीजों का डाटा प्रबंधन और शुरुआती दौर में रोग की पहचान और उपचार के लिए प्रभावी रणनीति पर काम किया जाएगा।

जानें इस साल की थीम?

हर साल विश्व कैंसर दिवस मनाने के लिए प्रतिवर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है। इस बार की थीम क्लोज द केयर गैप (Close The Care Gap) है। इस थीम के साथ यह दिन पूरे विश्व में मनाया गया।

भारत में कैंसर के कुल मामले

2017 : 12,92,534
2018 : 13,25,232
2019 : 13,58,415

भारत में कैंसर से मौतें

2017 : 7,15,010
2018 : 7,33,139
2019 : 7,51,517

भारत में कैंसर से जुड़े कुछ तथ्‍य

राष्‍ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम की स्थापना 1975 में की गई थी। 1984-85 से समय पर जांच पर जोर दिया जाने लगा।

भारत में कुल कैंसर के मामलों में से 27.1% प्रतिशत मामले तम्बाकू के सेवन से होते हैं

आईसीएमआर के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023 के अंत तक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ कर 13.9 लाख हो सकती है और 2025 तक 15.7 लाख।

विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 में से एक व्‍यक्ति में कैंसर बनने की आशंका है।

भारत में सबसे ज्यादा 162,500 मामले ब्रेस्ट कैंसर हैं।

ब्रेस्ट कैंसर के मामले शहरों में 1.4 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 2.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं।

देश में मुंह के कैंसर के करीब 1 लाख 20 हजार केस हैं।

देश में सरवाइकल कैंसर के 97 हजार, लंग कैंसर के 68 हजार, पेट के कैंसर के 57 हजार, कोलोरेक्टर कैंसर के 57 हजार मामले हैं।

पुरुषों की बात करें तो 5.7 लाख नए मामलों में 92 हजार मामले मुंह के कैंसर के आये और 49 हजार मामले लंग कैंसर के। इससे साफ है कि गुटखा और धूम्रपान कैंसर के प्रमुख कारक हैं।

कैंसर समेत नॉन कम्‍युनिकेबल डिज़ीज़ेज की समय पर जांच को बढ़ावा देने के लिए देश भर में जिला स्तर पर 599 और कम्‍युनिटी स्वास्थ्‍य केंद्र के स्तर पर 3274 एनसीडी क्लीनिक स्थापित की गई हैं।

कोई भी व्‍यक्ति निकटतम स्वास्थ्‍य केंद्र में जा कर कैंसर की जांच करवा सकता है।

मुंह के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और सरवाइकल कैंसर की रोकथाम व इलाज आयुष्‍मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस स्‍कीम का अभिन्न अंग है।

कई प्रकार के कैंसर का इलाज आयुष्‍मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत भी किया जाता है।