कब हैं रक्षाबंधन, तारीख में क्यों है कन्फ्यूजन, 11-12 को बहनें बांध सकती है राखी, जानें शुभ मुहूर्त

रक्षा बंधन का त्योहार भाई बहनों को समर्पित होता है। रक्षा बंधन का पर्व श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। जिसमें वर्ष 2022 में यह 11 व 12 अगस्त, के दिन मनाया जायेगा। यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है। भारतीय परम्पराओं का यह एक ऐसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ साथ हर सामाजिक संबन्ध को मजबूत करता है। इस लिये यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोडने के साथ साथ सांस्कृतिक, सामाजिक महत्व भी रखता है।

जानें 11-12 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन यानी 11 अगस्त और 12 अगस्त को है। पंचांग के मुताबिक सावन मास की पूर्णिमा तिथि (श्रावण पूर्णिमा) 11 अगस्त 2022 को 10 : 38 AM से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 12 अगस्त 2022 को प्रात: 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में लोग इस संशय में हैं कि रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त को मनाया जायेगा या फिर 12 अगस्त को। जिसमें पंचांग के अनुसार सावन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को 10:39 AM से शुरू होगी और 12 अगस्त को 7:05 AM पर समाप्त होगी। 11 अगस्त को भद्राकाल सुबह से रात 08 बजकर 51 तक है। हिंदू धर्म की मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस लिए भाइयों को राखी न तो भद्राकाल में बांधी जा सकती है और न ही रात में. जबकि 12 अगस्त को भी सुबह 7 बजकर 05 तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस समय भद्रा भी नहीं है और उदयातिथि भी है। इस वजह कुछ लोग 12 अगस्त को ही राखी बांधने को शुभ मान रहें हैं।

रक्षाबंधन का महत्व-

राखी पर्व से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार एक बार देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हो गया था। जिसमें देवताओं को हार की स्थिति समझ आ रही थी। तब इंद्र की पत्नी इन्द्राणी ने देवताओं के हाथ में रक्षा कवच बांधा। जिससे देवताओं की विजय हुई। माना जाता है कि यह रक्षा विधान श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर ही शुरू किया गया था।

रक्षाबंधन का इतिहास-

रक्षाबंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है। हिंदू पुराण कथाओं के अनुसार, महाभारत में, (जो कि एक महान भारतीय महाकाव्‍य है) पांडवों की पत्‍नी द्रौपदी ने भगवान कृष्‍ण की कलाई से बहते खून (श्री कृष्‍ण ने भूल से खुद को जख्‍मी कर दिया था) को रोकने के लिए अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा था। इस प्रकार उन दोनो के बीच भाई और बहन का बंधन विकसित हुआ था, तथा श्री कृष्‍ण ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया था।