आज धर्म जागरण समन्वय कुमाऊं प्रमुख एवं देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल अल्मोड़ा जिला अध्यक्ष मनोज सिंह पवार ने कहा कि मानसखण्ड परियोजना में शामिल अल्मोड़ा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के तहत आरतोला से लेकर जागेश्वर मंदिर तक हो रहे सड़क चौड़ीकरण के लिए करीब 1000 देवदार के पेड़ों को काटने की बात सामने आ रहीं हैं। जिसके पश्चात् स्थानीय लोगों, पुजारियों, कई जनप्रतिनिधियों के विरोध के चलते सड़क चौड़ीकरण कार्य में पेड़ों के संभावित कटान पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को सर्वे की पुनः समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।
मंदिर के साथ यहां के दारूक वनों का भी रहा है लंबा इतिहास
हाल फिलहाल इसमें रोक लगी है। इसके पश्चात् ही अब जिन शिवरुपी देवदार के पेड़ों पर पहले लाल निशान लगा दिए गए थे उन्हीं निशानों को अब काला रंग कर दिया गया है। मनोज सिंह पवार ने कहा है कि राम राज्य की बात करने वाले व्यक्तियों द्वारा आस्था के इतने बड़े पवित्र धाम का इस तरह दोहन किसी भी हद तक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो पेड़ काटे जा रहे हैं वह प्राण वायु के साथ-साथ लोगों की आस्था से भी जुड़े हुए है। दारुक वनों को शिव का निवास माना जाता है और उनकी पूजा भी की जाती है। आरतोला जागेश्वर रोड के दोनों तरफ स्थित सभी देवदार के पेड़ हजारों साल से स्थित है और स्थानीय लोग उन्हें शिव रूप में पुजते है। अनेक पेड़ों से जागेश्वर मंदिर समूह का सौन्दर्य बना हुआ है। यदि चौड़ीकरण के नाम पर इन देवदार पेड़ों को हटाया जाता है तो ये शिव की भूमि पर विकास नहीं विनाश लेकर आयेगा। केदारनाथ त्रासदी हम सभी देख ही चुके हैं। उससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। वर्तमान में आरतोला जागेश्वर रोड से किसी भी स्थानीय या श्रद्धालु को आने जाने में कोई दिक्कत नहीं है। यदि सरकार/प्रशासन को विकास करना ही है तो पनुवानौला या आरतोला से बाईपास बनाकर जागेश्वर से आगे रोड को जोड़ा जा सकता है। जिससे देवदार के वनों को कोई नुकसान नहीं होगा और गंगोलीहाट/पाताल भुवनेश्वर के लिए भी सुविधाजनक हो जायेगा।
विकास के नाम पर विनाश की अवधारणा मानवता के लिए बड़ा खतरा
मनोज सिंह पवार ने कहा है कि विकास के नाम पर विनाश की अवधारणा मानवता के लिए और उत्तराखंड वासियों के लिए बहुत बड़ा संकट है। शिवरूपी देवदारों को कोई भी नुकसान नहीं हो। देवदार वन जागेश्वर की अस्मिता है जागेश्वर का सौन्दर्य है, इन देवदार वन पर कोई भी कार्रवाई स्थानीय लोगों पर कार्रवाई होगी अन्यथा स्थानीय लोगों के साथ ही समस्त सनातन धर्म के अनुयायी इस कार्यवाही का विरोध करेंगे और अपने शिवरूपी पुजित देवदार वनों को कोई भी नुकसान नहीं होने देंगे। इस लिए श्रद्धालुओं की आस्था का ध्यान रखते हुए ऐसा कोई भी कार्य मानसखण्ड परियोजना के तहत सौंदर्यकरण के नाम पर पौराणिक मंदिर जागेश्वर धाम में ना किया जाए जिससे सभी शिव भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचे। अन्यथा धर्म जागरण समन्वय उत्तराखंड एवं देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल अल्मोड़ा स्थानीय, एवं समस्त सनातनियों के साथ आंदोलन को बाध्य होगी।