आज 13 नवंबर 2024 है। आज तुलसी विवाह का पावन पर्व मनाया जा रहा है । हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। इस महीने भगवान विष्णु , माता लक्ष्मी के साथ-साथ तुलसी पूजन करना शुभ फलदायी माना जाता है।
जानें शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह पूजन इस साल कर्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन किया जाएगा, जो 13 नवंबर को है। द्वादशी तिथि नवम्बर 12 को प्रारम्भ हुई जो शाम 04:04 बजे और नवम्बर 13 को समाप्त होगी दोपहर 01:01 बजे।
जानें प्रचलित कथा
तुलसी विवाह से जुड़ी यह कथा प्रचलित है । मान्यता के अनुसार, श्रीहरि ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा को स्पर्श करके उनके पतिव्रत धर्म को भंग किया था, जिसके कारण वृंदा के पति का युद्ध में संहार संभव हो सका । श्रीहरि द्वारा छले जाने और पति के वियोग से दुखी होकर वृंदा ने सती होने से पहले भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दिया । कहा जाता है कि जिस स्थान पर वृंदा सती हुई थीं, उसी स्थान पर तुलसी का पौधा उग गया । वृंदा के श्राप से मुक्त होने के लिए भगवान विष्णु शालिग्राम बन गए और उन्होंने तुलसी से विवाह किया, तब से तुलसी विवाह की यह परंपरा चली आ रही है ।
जानें पूजन विधि
तुलसी विवाह के लिए एक चौकी पर आसन बिछा कर तुलसी जी को और शालीग्राम की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। चौकी के चारों और गन्ने का मण्डप सजाए और कलश की स्थापना करें। सबसे पहले कलश और गौरी गणेश का पूजन करना चाहिए। इसके बाद माता तुलसी और भगवान शालीग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला, फूल अर्पित करें। तुलसी जी को श्रृगांर के समान और लाल चुनरी चढ़ाई जाती है। ऐसा करने से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इसके बाद तुलसी मंगाष्टक का पाठ करें। हाथ में आसन सहित शालीग्राम जी को लेकर तुलसी जी के सात फेरे लेने चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और तुलसी जी की आरती का पाठ करना चाहिए। पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें।