राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण-एनटीसीए ने चीता परियोजना संचालन समिति गठित की है, जो मध्यप्रदेश वन विभाग और एनटीसीए के लिए चीता से संबंधित और उनके विकास, निगरानी और अन्य विषयों की समीक्षा करेगी। तीन नवजात चीता शावकों और तीन बड़े चीतों की मौत के बाद सरकार ने चीतों की देखभाल, प्रगति, निगरानी के लिए चीता परियोजना संचालन समिति गठित का गठन किया है। अब चीतों से जुड़ा कोई भी फैसला इस कमेटी के सदस्यों की सहमति से ही लिया जाएगा।
चार अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञ सदस्य होंगे
ग्यारह सदस्यों की समिति की अध्यक्षता ग्लोबल टाइगर फोरम-वैश्विक बाघ मंच के महासचिव डॉक्टर राजेश गोपाल करेंगे। प्राधिकरण में चार अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञ सदस्य होंगे, जो संबंधित विषयों पर परामर्श देंगे। ये समिति पर्यावरण पर्यटन- के लिए चीता पर्यावास शुरू करने के लिए जिम्मेदार होंगे और परियोजना गतिविधियों में उनकी सहभागिता के लिए विनियमों और समुदाय के इंटरफेस पर सुझाव देंगे।
चार को बाड़े के वातावरण से मुक्त करके खुले क्षेत्र में छोड़ा गया
नामिबिया से लाए गए 20 चीतों को पिछले वर्ष मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय पार्क में बसाया गया था। इनमें से चार को बाड़े के वातावरण से मुक्त करके खुले क्षेत्र में छोड़ा गया है।उल्लेखनीय है, महत्वाकांक्षी चीता पुनर्वास परियोजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72 वें जन्मदिन पर नामीबिया से कूनो में आठ चीतों को छोड़ा था। इसी तरह 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को कूनो में छोड़ा गया था। तीन शावकों की मौत के बाद, ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव राजेश गोपाल की अध्यक्षता वाली समिति बनाने का निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से जारी बयान में कहा गया है, समिति ईको-टूरिज्म के लिए चीता के आवास खोलने और इस संबंध में नियमों पर सुझाव देगी। जानकारी के मुताबिक, ये समिति दो साल के लिए प्रभावी होगी और हर महीने कम से कम एक बैठक आयोजित करेगी। समिति सामुदायिक इंटरफेस और परियोजना गतिविधियों में भागीदारी के लिए भी सुझाव देगी।