संसद में इन दिनों मानसून सत्र चल रहा है लेकिन बीते दो सप्ताह से विपक्षी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है। इस कारण से देश की जनता का करोड़ों रुपए का नुकसान भी हो रहा है। ज्ञात हो संसद में 27 जुलाई 2022 के सत्र में राज्यसभा में सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी डिलीवरी प्रणाली संशोधन विधेयक और भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 सूचीबद्ध किए गए तो वहीं लोकसभा में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक सूचीबद्ध किया गया।
मॉनसून सत्र में कई विधेयक सूचीबद्ध
बताना चाहेंगे राज्यसभा में उन कार्यों को सूचीबद्ध किया गया जिन पर पहले कामकाज पूरा ही नहीं हो पाया है जिसमें सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी डिलीवरी प्रणाली संशोधन विधेयक और भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 शामिल है, जबकि लोकसभा में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक सूचीबद्ध किया गया। इससे पहले मानसून सत्र में विपक्षी सांसदों का हंगामा जारी रहा। राज्यसभा में विपक्ष ने ऐसे हालात उत्पन्न कर दिए जिससे उपसभापति को नियम 256 का सहारा लेते हुए 19 सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित करना पड़ा।
विपक्ष के हंगामे के चलते संसद के विधायी कार्य में लगातार व्यवधान
विपक्ष के हंगामे के चलते संसद के विधायी कार्य में लगातार व्यवधान हो रहा है। इसमें चाहे लोकसभा का जिक्र हो या राज्यसभा का, दोनों ही सदनों में विपक्ष का हंगामा इतना ज्यादा है कि जो लोकहित और राष्ट्रहित से जुड़े तमाम विधेयक पारित ही नहीं हो पा रहे हैं।
संसद में बिल उसकी आत्मा के समान
कहते हैं कि संसद में बिल उसकी आत्मा होती है। लेकिन विपक्ष संसद में किसी भी बिल पर चर्चा करने ही नहीं देना चाहता। ऐसे में सरकार के पास सत्र आखिरी हफ्ते में बिना चर्चा के बिल पारित करने के कोई विकल्प नहीं रहेगा। लेकिन विधायी कार्यों को यदि देखें तो वर्तमान में केंद्र सरकार की कोशिश यही रहती है कि सदन में हर एक बिल पर चर्चा हो, उसके बाद ही कोई भी बिल पारित हो।
किसी भी बिल पर चर्चा संसदीय परम्पराओं का हिस्सा
यह संसदीय परम्पराओं का हिस्सा है कि किसी भी बिल को या तो चर्चा के लिए उसे रखा जाए या फिर उसे किसी कमेटी में भेजा जाए, चाहे वह सिलेक्ट कमेटी हो या स्टैंडिंग कमेटी क्योंकि किसी भी बिल को पारित करने से पहले उसकी प्रोपर स्क्रूटनी और उसके पक्षों और विपक्षों पर जब हम चर्चा करते हैं तो उसका सही स्वरूप आगे बढ़ता है। इस स्थिति में कई बार सरकार विपक्ष की बातों को यह कहते हुए मानती भी है कि उनके द्वारा दिए गए सुझाव सकारात्मक हैं। लेकिन ये सुझाव तभी सामने आ पाएंगे जब इन पर चर्चा होगी। देखा जाए तो विपक्ष ने अभी तक कई ऐसे मौके गवाएं हैं जिन पर वह आसानी से चर्चा करके अपनी बात रख सकता था। इसके जरिए वे अपनी मांगों को भी मनवा सकते थे।
संसद में दो बिल लगातार दो हफ्ते से किए जा रहे सूचीबद्ध
कई बार बिल की बाध्यता होती है कि उसे पारित कराया जाए। इस समय संसद में दो बिल लगातार दो हफ्ते से सूचीबद्ध किए जा रहे हैं उन्हें लोकसभा तो पारित कर दिया गया है लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के चलते इन बिलों को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। इस समय सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी डिलीवरी प्रणाली संशोधन विधेयक और भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 को लेकर हमारे ऊपर इंटरनेशनल कम्पलशन है कि इन दोनों बिलों को पास कराया जाए। भारत इसके लिए कमिटमेंट कर चुका है। लेकिन सदन में शोर-शराबा और हंगामे के चलते इन बिलों पर चर्चा नहीं हो पा रही है।
संसद का प्रति मिनट 2.50 लाख रुपए का नुकसान
इन परिस्थितियों में नुकसान सीधे तौर पर जनता का हो रहा है। संसद का प्रति मिनट 2.50 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। ऐसे में दो सप्ताह से विपक्ष के हंगामे के चलते अब तक संसद में करोड़ों रुपयों का नुकसान हो चुका है।
राज्यसभा में 53 घंटे की जगह महज 11 घंटे हुआ काम
गौरतलब हो, राज्यसभा में लगभग 53 घंटे काम होना था लेकिन कुल 11 घंटे ही काम हो सका। पिछले साल विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लगभग 90 घंटे बर्बाद हुए थे। मानसून सत्र हो या शीतकालीन सत्र विपक्ष के हंगामे की वजह से आम जनता का काफी नुकसान हुआ है। पिछले मानसून सत्र में लगभग 133 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था।
सदन नियमों से चलता है और सदस्य उसका पालन करें
इस बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को सदन में महंगाई के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों को फटकार लगाते हुए कहा कि यह अत्यंत अशोभनीय है। सदन नियमों से चलता है और सदस्यों को उन नियमों का पालन करना चाहिए।