फोटो पत्रकारिता की बारीकियां सिखाने के लिए फोटोशूट वर्कशॉप का हुआ आयोजन

अदिति महाविद्यालय में हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार पाठ्यक्रम की छात्राओं को फोटो पत्रकारिता की बारीकियां सिखाने के लिए फोटोशूट वर्कशॉप का आयोजन किया गया इसका मुख्य विषय था – फोटो पत्रकारिता के आकर्षक आयाम  ।इसकी संयोजिका थीं प्रोफेसर माला मिश्र।

दृश्य की सटीक व सामयिक फ़ोटो खींचना ही फ़ोटो पत्रकार की सफलता है

विशेषज्ञ के रूप में छात्राओं को व्यावहारिक कार्य सिखाने के लिए वरिष्ठ फोटो पत्रकार एवं निदेशक सुशील कुमार तथा विवेकानंद इंस्टीट्यूट के मीडिया शिक्षक डॉ . सुनील कुमार मिश्र उपस्थित थे।कैमरे से संचालित कार्यशाला में सुनील मिश्र ने कैमरे के कार्य ,कैमरे के प्रकार , फोटो पत्रकारिता की रचनात्मकता को व्यावहारिक रूप में उकेरा तो सुशील कुमार ने शॉट्स ,एंगेल्स , डॉक्यूमेंट्री और फ़ोटोग्राफी के प्रकारों को प्रभावी ढंग से समझाया।सुशील कुमार ने कहा कैमरे की सही पकड़ ही फोटोपत्रकारिता का मानदंड है।तो सुनील मिश्र ने कहा दृश्य की सटीक व सामयिक फ़ोटो खींचना ही फ़ोटो पत्रकार की सफलता है।

12 वर्षों से वह लगातार फ़ोटो शूट कार्यशाला का कर रहीं आयोजन

प्रोफेसर माला मिश्र ने विशेषज्ञों को बताया कि विगत 12 वर्षों से वह लगातार फोटो शूट कार्यशाला का आयोजन कर रही हैं।विभिन्न सामाजिक विषयों पर अब तक 100 से भी अधिक वृत्तचित्रों का महत्वपूर्ण निर्माण कार्य उनके निर्देशन में करवाया जा चुका है।फ़ोटो पत्रकारिता एक नया आयाम है जिसमें कार्य तथा शोध कार्य की अपार संभावनाएं हैं।इसके माध्यम से पत्रकारिता ,जीवन एवं शिक्षा को कहीं अधिक सुंदर ,रोचक और प्रामाणिक बनाया जा सकता है।एक सुव्यवस्थित निर्मित फ़ोटो निश्चय ही बड़े से बड़े शाब्दिक व्यवहार से अधिक अर्थगर्भित व पारदर्शी हो सकती है।फ़ोटो के निर्माण एवं विशेष प्रभाव के लिए प्रकाश का सदुपयोग महत्वपूर्ण है।

माँ ,मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं

छात्राओं की विभिन्न छोटी बड़ी शंकाओं और जिज्ञासाओं को शांत कर उन्हें व्यावहारिक फ़ोटो ग्राफी और फोटोपत्रकारिता के गुर सिखाकर आमंत्रित विशेषज्ञों ने कार्यशाला को सार्थक विराम दिया।इसी फ़ोटो शूट कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के उपलक्ष्य में सभी ने अपनी मातृभाषा में उद्गार प्रकट किए और उसकी वीडियो का निर्माण करते हुए  केंद्रीय विषय का विस्तार किया गया।विभिन्न भाषाओं के सुंदर प्रयोग ने कार्यक्रम को सुंदर गति प्रदान की।छात्राओं ने विभिन्न राज्यों के अलग अलग साहित्यकारों ,पत्रकारों  , सांस्कृतिक व्यवहारों पर  मातृभाषा पत्रिका का प्रोफेसर माला मिश्र के निर्देशन में निर्माण किया ।प्रोफेसर माला मिश्र ने सभी को संदेश दिया कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के सयोजसन के मूल प्रेरणा स्रोत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी जी हैं।समस्त भारतीय भाषाओं के समग्र विकास के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन अपेक्षित है।उनका संदेश है – ,माँ ,मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है।फोटोशूट कार्यशाला को और अधिक रचनात्मक और बहुधर्मी बनाकर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का समायोजन निसंदेह बहुत शिक्षाप्रद और उपयोगी रहा जिसमें छात्राओं और विशेषज्ञों सभी की समान सक्रियता रही।