रूस-यूक्रेन संकट : UNSC की बैठक में भारत ने खुद को रखा वोटिंग से दूर

रूस-यूक्रेन संकट पर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। इस बैठक के दौरान भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है और कहा है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता और इसे जल्द-से-जल्द खत्म किया जाना चाहिए।

रूस-यूक्रेन संकट पर भारत का रुख

इस वक्त रूस और यूक्रेन संकट को लेकर दुनिया के तमाम देश चिंतित हैं। इसलिए इस समस्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में विभिन्न देश हल तलाशने में जुटे हैं। वहीं युद्ध की वजह से यूक्रेन में हालात गंभीर होते जा रहे हैं। बैठक में भारत ने रूस-यूक्रेन संकट पर  अपना रुख साफ कर दिया है।

युद्ध तत्काल रोकने के पक्ष में भारत

सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत ने कहा है कि ”यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है। हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं। मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में टी.एस. तिरुमूर्ति ने दिया बयान 

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने रूस और यूक्रेन संकट पर यूएनएससी की बैठक में कहा कि ”यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया। हमें उस पर लौटना होगा।”

गौरतलब हो, इसके बाद भारत ने इन सभी कारणों को गिनाते हुए, यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करते हुए सुरक्षा परिषद में वोट करने से परहेज किया।

यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करने वाला प्रस्ताव किया गया पेश

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में शुक्रवार को यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करने वाला एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है और वोटिंग से खुद को दूर रखा।

भारत ने वोटिंग से खुद को रखा दूर

गौरतलब हो, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की ओर से लाए जाने वाले प्रस्ताव के मसौदे में यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। इस दौरान प्रस्ताव के पक्ष में कुल 11 मत मिले जबकि भारत, चीन और यूएई ने इस प्रस्ताव को लेकर खुद को वोटिंग से दूर रखा।

इन देशों ने रूस के खिलाफ किया वोट

रूस के खिलाफ प्रस्ताव के समर्थन में वोट करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नार्वे हैं।

रूस के पास वीटो पावर

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव दिया गया है कि रूस पर लगाम लगाने के लिए सभी देश इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दें, लेकिन, यह प्रस्ताव के पास होने में मुश्किलें आ सकती हैं, क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस के पास वीटो पावर है।

वोटिंग से खुद को दूर रखने के भारत ने गिनाए ये कारण….

– यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है।

– हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं।

– मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं निकाला जा सकता।

– हम भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर भी बहुत चिंतित हैं, जिसमें यूक्रेन में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल हैं।

– समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर अंतर्राष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बनाई गई है।

– सभी सदस्य देशों को रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ने के लिए इन सिद्धांतों का सम्मान करने की आवश्यकता है।

– मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए बातचीत ही एकमात्र तरीका है, चाहे वह कितना ही कठिन क्यों न हो।

– यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया। हमें उस पर वापस लौटना होगा।

– इन सभी कारणों से, भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज करने का विकल्प चुना है।

पीएम मोदी भी रूस के राष्ट्रपति से फोन पर कर चुके बात

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ यूक्रेन घटनाक्रम पर टेलीफोन के माध्यम से बातचीत की। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेन पर हो रही कार्रवाई को तत्काल रोकने की अपील की और साथ ही राजनयिक बातचीत के जरिए नाटो के साथ रूस के मुद्दों को हल करने का आग्रह भी किया। पीएम मोदी ने भी यूक्रेन में भारतीय नागरिकों, विशेष कर छात्रों की सुरक्षा के संबंध में भारत की चिंताओं से रूसी राष्ट्रपति को अवगत कराया और बताया कि भारत उनकी सुरक्षित निकासी एवं स्वदेश वापसी को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।