सफला एकादशी : आज है साल की पहली एकादशी, तुलसी पूजन भी है जरूरी, जाने पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आज 07 जनवरी 2024 है। आज सफला एकादशी पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। सफला एकादशी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में 2 एकादशी आती है और पूरे साल में 24 एकादशी आती है । सभी एकादशी का अपना अलग अलग शास्त्रीय महत्व माना जाता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति प्रत्येक एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ करता है, उसे संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। सफला एकादशी के दिन तुलसी पूजन जरूर माना जाता है।

सफला एकादशी के व्रत से सौभाग्य की होती है प्राप्ति

शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी के दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है । साथ ही जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से विष्णु भगवान की पूजा करता है, उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है ।मान्यता है कि 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ मिल कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते जितना सफला एकदशी का व्रत रख कर मिल सकता हैं। मान्यता है कि सफला एकादशी व्रत के दौरान विष्णु चालीसा का पाठ करने से भगवान श्रीहरी प्रसन्न होते हैं और साधक की मनचाही मनोकामना पूरी होती है।

जाने व्रत

पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 7 जनवरी की रात 12 बजकर 41 मिनट से हो रही है। अगले दिन 8 जनवरी रात 12 बजकर 46 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी के दिन रखा जाएगा। ये इस साल की पहली एकादशी है।

जरूरतमंदों को करें दान

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के बाद जरूरतमंदों को कुछ दान करना चाहिए।

तुलसी माता का करें पूजन

सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें। विष्णु भगवान को फल, फूल,चंदन और तुलसी दल चढ़ाएं। इस दिन तुलसी माता को जल अर्पित कर लाल चुनरी पहनाएं। इस दिन तुलसी के पास घी का दीप जलाकर उनकी 11 से 21 बार परिक्रमा करें। तुलसी मंत्र और चालीसा का पाठ करें। तुलसी पूजन के दौरान दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।

सफला एकादशी व्रत के समान कोई दूसरा व्रत नहीं

सफला एकादशी व्रत की महिमा भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि सफला एकादशी व्रत का महात्म्य पढ़ने या सुनने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि द्वादशीयुक्त पौष कृष्ण एकादशी यानी सफला एकादशी व्रत में मौसमी फल नारियल, नींबू, नैवेद्य समेत 16 वस्तुओं से पूजा करनी चाहिए और रात्रि जागरण करना चाहिए। इस सफला एकादशी व्रत के समान कोई दूसरा व्रत नहीं है।