28 सितंबर: आज शारदीय नवरात्र का छठा दिन, समस्याएं दूर करने वाली मां कात्यायनी को समर्पित, जानें पूजा विधि और मंत्र

आज 28 सितंबर 2025 है। आज आश्विन नवरात्र का छठा दिन है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है । मान्यता है कि इस मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों की हर एक मनोकामना पूरी होती है। जो भी जातक देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करता है, उसे परम पद की प्राप्ति होती है। जो भी भक्त माता कात्यायनी की पूजा श्रृद्धा भक्ति से करता है उसका मन सदैव आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में आज्ञा चक्र की महत्वपूर्ण मान्यता है। देवी कात्यायनी असुरों, दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। 

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा

सुबह स्नान करने के बाद मां की पूजा से पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें। नवरात्रि पर्व के छठे दिन सबसे पहले स्नान-ध्यान के बाद शुभ रंगों के वस्त्र पहनकर कलश पूजा करें और इसके बाद मां दुर्गा के स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा करें। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें। इसके बाद वह फूल मां को अर्पित करें। फिर कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें। उसके बाद भोग अर्पित करें। फिर जल अर्पित करें और घी के दीपक जलाकर माता की आरती करें। देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।

ऐसा है मां का स्वरूप

मां के स्वरूप को देखें तो तेजस्वी मां कात्यायनी शेर पर सवार हैं। मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमय है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है। वहीं नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। मां कात्यायनी के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार धारण करती हैं व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी जातक देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करता है, उसे परम पद की प्राप्ति होती है।

पूजा की विधि

नवरात्रि के छठे दिन इस दिन प्रातः काल में स्नान आदि से निवृत्त  होकर मां का गंगाजल से आचमन करें। फिर देवी कात्यायनी का ध्यान करते हुए उनके समक्ष धूप दीप प्रज्ज्वलित करें। रोली से मां का तिलक करें अक्षत अर्पित कर पूजन करें। कात्यायनी को ताजे फूल अर्पित करना एक अच्छा शगुन माना जाता है, खासकर कमल। मां को गुड़हल का फूल भी काफी प्रिय है तो आप गुड़हल भी अर्पित कर सकते है। इसके बाद मंत्रों का जाप कर सकते हैं । अंत में मां कात्यायनी की आरती करें ।

इन मंत्रों का करें उच्चारण

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||