श्री हनुमान जयंती पर विशेष, जानें हनुमान जी की जन्म कथा, और इन मन्त्र का करें उच्चारण सभी बाधाएं होंगी दूर

आज  का दिन हनुमान जी को विशेष रूप से समार्पित है । चैत्र मास की पूर्णिमा को श्री राम भक्त हनुमानजी का जन्मोत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।  मान्यता के अनुसार, शनिवार व मंगलवार का दिन हनुमान जी की उपासना के लिए और भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है ।  हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता के रूप में जाना जाता है । हनुमान जी की सच्चे मन से प्रार्थंना करने से  भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धियां तथा नौ प्रकार की निधियां प्राप्त हो सकती है । वैसे तो हनुमान चालीसा को रोजाना पढ़ना चाहिए उससे भय से मुक्ति मिलती है । और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है ।  अगर व्यक्ति के जीवन में बहुत बाधाएं हैं ।  और परेशानियां मुंह बाए खड़ी हों तो ऐसे में हनुमान जी का ये मंत्र राहत प्रदान कर सकता है –

इस मंत्र का करें उच्चारण

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

भूत- प्रेत बाधाओं से बचने के लिए

ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पंचवदनाय दक्षिण मुखे. कराल बदनाय नारसिंहाय सकल भूत प्रेत दमनाय  रामदूताय स्वाहा ।।

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः ।।

व्यापार में सफलता के लिए मन्त्र

जल खोलूं जल हल खोलूं खोलूं बंज व्यापार आवे धन अपार ।
फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा हनुमत वचन जुग जुग सांचा ।।

हनुमान जी की जन्म कथा

श्री राम के प्रिय महावीर हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है । हनुमान जी ने वानर जाति में जन्म लिया। उनकी माता का नाम अंजना (अंजनी) और उनके पिता वानरराज केसरी हैं। इसी कारण इन्हें आंजनाय और केसरीनंदन आदि नामों से पुकारा जाता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी  को पवन पुत्र के नाम से भी पुकारा जाता है ।  हनुमान जी के जन्म के पीछे पवन देव का अमूल्य योगदान था। एक बार अयोध्या के राजा दशरथ अपनी पत्नियों के साथ पुत्रेष्टि हवन कर रहे थे। यह हवन पुत्र प्राप्ति के लिए किया जा रहा था। हवन समाप्ति के बाद गुरुदेव ने प्रसाद की खीर तीनों रानियों में थोड़ी- थोड़ी बांट दी।खीर का एक भाग एक कौआ अपने साथ एक जगह ले गया । और वहां अंजनी मां तपस्या कर रही थी। यह सब भगवान शिव और वायु देव के इच्छानुसार हो रहा था। तपस्या करती अंजना के हाथ में जब खीर आई तो उन्होंने उसे शिवजी का प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया। इसी प्रसाद की वजह से हनुमान जी का जन्म हुआ।