आज के समय में बाजार में एक से एक ब्रांड के बिस्कुट आ गये हैं। जिनको लोगों द्वारा काफी पसंद भी किया जाता है। इसमें एक है Parle बिस्कुट। जिसकी आज भी लोगों के बीच काफी डिमांड है।
विले पार्ले मुंबई में खुली Parle की पहली फैक्टरी
Parle- G एक बहुत ही मशहूर ब्रांड है जो अपने बिस्कुट के लिए जाना जाता है। पारले प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड इसका मालिक है। आज हम आपको इसकी सफलता की कहानी बताएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संबंध में जानकारी दी है। Parle-G का लोगो भारत में सबसे प्रसिद्ध में से एक है। लोगो में एक छोटी बच्ची को दिखाया गया है, जिसकी उम्र लगभग 4-5 वर्ष होगी। यह लोगो काफी अहम है। यह दर्शाता है कि सभी आयु वर्ग के लोग यह बिस्किट खा सकते हैं और ग्लूकोज घटक बच्चों के लिए भी उपयुक्त हैं। बचपन से लेकर बड़े होने तक सभी ने Parle Brand का टेस्ट चखा है। फिर चाहे वो बिस्कुट हो,टॉफी या चॉकलेट। विले पार्ले मुंबई में Parle की पहली फैक्टरी खुली। ऐतिहासिक रूप से, यह ब्रांड पहले भारतीय ब्रांडों में से एक था। साल 1929 में मोहनदास दयाल चौहान ने पारले कंपनी की शुरुआत की थी। Parle-G को 1939 में बनाना शुरू किया गया था। और आखिरकार आजादी के बाद इस कंपनी ने अपने बिस्कुट को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापन देना शुरू कर दिया। विज्ञापनों में ग्लूकोज़ बिस्कुट का प्रदर्शन किया गया और बड़ी संख्या में भारतीयों ने इसे पसंद किया। वर्ष 1980 तक बिस्किट का नाम पहले पारले-ग्लूकोज था। इसके बाद यह पारले-जी हो गया (जी का मतलब ग्लूकोज है जो बिस्किट में मौजूद था, लेकिन हाल के नारों में इसका मतलब जीनियस है)। यह बिस्किट अब दुनिया भर में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में बेचा जा रहा है।
ऐसे हुई इसकी शुरुआत
रिपोर्ट्स के मुताबिक Parle की ग्रोथ के बारे में बताते हुए Vice President Of Parle Product Mayank Shah ने बताया कि कंपनी के संस्थापक मोहनदास दयाल चौहान पहले कपड़ों के कारोबार से जुड़े थे। परिवार के 12 लोगों ने इस कंपनी की शुरुआत की। परिवार गुजरात के नवसारी के पास से ताल्लुक रखता था। बंबई आकर उन्हें ख्याल आया कि Indian Confectionery के बिजनेस को खोला जाए। इस दौरान वे यहां से जर्मनी गए और पूरी तकनीक से रूबरू हुए। वहां से मशीन इंपोर्ट कर 1929 में कंपनी शुरू की। Parle का पहला ब्रांड ऑरेंज कैंडी था। बताया कि उस वक्त ये जगह जहां आज कंपनी है बॉम्बे टाउन से दूर हुआ करती थी। उस दौरान इरला और पारला नाम से दो आइलैंड यहां थे। यहां मछुआरों की बस्ती थी। इस जगह से प्रेरित होकर ही उन्होंने अपनी कंपनी का नाम Parle रखा। उनकी इच्छा था कि वह अपने ही देश के अंदर अर्फोडेबल रेट पर उपलब्ध कराने पर काम किया। बाहर से चीज महंगी आती थी। उन्होंने देखा कि बिस्कुट भी इंपोर्ट होते थे, जोकि वेस्टर्न आइटम हैं। ब्रिटिश कंपनी के बिस्कुट यहां इंपोर्ट होते थे। यहां रहने वाले बड़े तबके के लोग ही इसे खाते थे और आम आदमी की पहुंच से बाहर थे। ये काफी महंगे थे। इसी विचार के साथ Parle-G लॉन्च किया गया। 1939 में पहली बार छोटी पूंजी के साथ इसका बिजनेस शुरू किया। आज करीब 40 से अधिक बिस्कुट के ब्रैंड Parle कंपनी बनाती है। जिनमें क्रेकजैक, मोनेको आदि फेमस हैं। भारत के साथ बाहर देशों में इसे पसंद किया जाता है।