तेलंगाना बना रहा है आज 8 वां स्थापना दिवस, जानें इसका इतिहास

जब तेलुगु भाषा के लोकसंगीत कानों में अमृत रस घोलने लगे, जब ओग्गु कथा सुनकर व्यक्ति मुग्ध हो जाए, जब बोनालु नृत्य देखकर चकित रह जाए और जब भारत की साझी संस्कृति का प्रतिबिंब दिखने लगे, तो समझना चाहिए कि हम तेलंगाना में हैं। भारत के 29 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया तेलंगाना, आज अपना 8 वां स्थापना दिवस मना रहा है। आंध्रप्रदेश से विभाजित होकर इस राज्य का गठन वर्ष 2014 में हुआ।

पांच हजार वर्ष का इतिहास समेटे है तेलंगाना

तेलंगाना राज्य पांच हजार वर्ष का इतिहास समेटे हुए है।अतीत के पन्ने उलटने पर हम पाते हैं कि, काकतीय वंश से लेकर मुगलकालीन सल्तनत तक, विभिन्न राजवंशों का प्रभाव इस राज्य पर रहा। पौराणिक महत्व की ओर दृष्टि डालें, तो राज्य में वारंगल महत्वपूर्ण स्थान है। 12 वीं सदी में काकतीय वंश की राजधानी रहे इस नगर में , 1000 स्तम्भों वाला मन्दिर भी है। वारंगल राज्य में लंबे समय तक रानी रुद्रम्मा (रुद्रमाम्बा) देवी ने शासन किया। रामायण और महाभारत की घटनाओं से भी इस स्थान का संबंध जोड़ा जाता है। बाद में मुगल शासकों ने भी राज्य में शासन किया। यही कारण है कि, आज तेलंगाना की संस्कृति में अद्भुत सम्मिश्रण देखने को मिलता है।

क्या है तेलंगाना शब्द का अर्थ?

तेलंगाना का अर्थ है, वह भूमि जहां तेलुगु बोली जाती है। राज्य की मुख्य भाषा तेलुगु ही है। यह भाषा द्रविड़ परिवार के अंतर्गत आती है। इस भाषा में 75 प्रतिशत शब्द संस्कृत के हैं। राज्य की अधिकांश आबादी तेलुगु भाषा का प्रयोग करती है। वहीं राजभाषा होने के कारण इसका उपयोग शासकीय कार्यों में भी होता है। विद्यालयों में भी तेलुगु माध्यम में पढ़ाई होती है। तेलुगु भाषा की प्रमुखता होने के बावजूद राज्य में उर्दू भाषा और गोंडी बोली का भी प्रचलन है।

ऐसी है राज्य की भौगोलिक-आर्थिक स्थिति

तेलंगाना की सीमा छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र,कर्नाटक और उड़ीसा से लगती है। राज्य का राजकीय पेड़ जम्मी और फूल तांगेडू है। राज्य कृषि और खनिज संपदा से पूरित है। कपास,आम और तंबाकू की खेती होती है। तेलंगाना में हल्दी का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है। वहीं, राज्य में चूना-पत्थर ,अभ्रक और बॉक्साइट जैसे खनिज भी मिलते हैं। शिक्षा के समुचित अवसर उपलब्ध है। चिकित्सा, अभियांत्रिकी और कला के महनीय शिक्षण संस्थान भी राज्य में स्थित हैं। राज्य में 119 विधानसभा सीट हैं और वर्तमान में के. चंद्रशेखर राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं।

अद्वितीय सांस्कृतिक बहुल क्षेत्र तेलंगाना

तेलांगना अद्वितीय सांस्कृतिक बहुल क्षेत्र है। नृत्य,संगीत, ऐतिहासिक अवशेष और साहित्य जैसे विविध क्षेत्रों में राज्य ने पर्याप्त उन्नति की है। कृष्णा और गोदावरी नदी के प्रवेश द्वार तेलंगाना में, बोनलु लोकनृत्य प्रसिद्ध है। इसमें ग्रामदेव महानकली के समक्ष नर्तक-नर्तकियां रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं। तालियों की धुन के बीच यह नृत्य होता है। उसी तरह राज्य में ओग्गु लोककथा भी प्रचलित है। इसमें हिन्दू देवताओं जैसे वीरप्पा,येल्लमा आदि का प्रशस्ति गान किया जाता है। इसके अतिरिक्त राज्य में पेरिनि तांडवम नामक नृत्य भी किया जाता है। राज्य में ऐतिहासिक-धार्मिक महत्व के प्रमुख स्थानों में वारंगल किला, आलमपुर संगेश्वर मन्दिर,पालमपेट स्थित रामप्पा मन्दिर और भद्राचलम मुख्य है। साहित्य की दृष्टि से राज्य में तेलुगु भाषा में सर्वाधिक रचनाएं उपलब्ध है। राज्य के प्रमुख साहित्यकारों में पोथाना,मल्लिया रिछाना, मल्लिनाथ सोरी और सी नारायण रेड्डी शामिल हैं। समाज और राष्ट्र जीवन के विविध क्षेत्रों में तेलंगाना विकास के पथ पर अग्रसर है।