शुक्रवार का दिन मां संतोषी को समर्पित, जानें ये कथा

शुक्रवार का दिन मां संतोषी को समर्पित माना गया है। शुक्रवार को  मां संतोषी की उपासना से भक्तों को सुख वैभव की प्राप्ति होती हैं। मान्यता है कि इस दिन अगर मां संतोषी के सोलह व्रत कर लिए जाए तो मां भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।  संतोषी माता का व्रत रखने वाले के लिए खट्टी चीजें जैसे अचार, दही, टमाटर या अन्य कोई चीज छूना और खाना वर्जित है । यहां तक कि प्रसाद खाने वाले लोगों के लिए भी खट्टी चीजें खाने की मनाही है । आइए जानें ये एक कथा-

जानें ये कथा

एक नगर में बुढ़िया अपने पुत्र और बहु के साथ रहती थी। उसका एक ही पुत्र था. बुढ़िया पुत्र के विवाह के बाद से बहू से घर के सारे काम करवाती, लेकिन उसे ठीक से खाना नहीं देती थी. यह सब लड़का देखता पर मां से कुछ भी नहीं कह पाता. काफी सोच विचारकर एक दिन लड़का मां से बोला, मां मैं परदेस जा रहा हूं. मां ने उसे जाने की आज्ञा दे दी. इसके बाद वह अपनी पत्नी के पास जाकर बोला, मैं परदेस जा रहा हूं, अपनी कुछ निशानी दे बहू बोली, मेरे पास तो निशानी देने योग्य कुछ भी नहीं है और पति के चरणों में गिरकर रोने लगी. इससे पति के जूतों पर गोबर से सने हाथों से छाप बन गई. पुत्र के जाने बाद सास के अत्याचार बढ़ते गए. एक दिन बहू दुखी होकर मंदिर चली गई ।  वहां उसने देखा बहुत सी महिलाओं को पूजा करते हुए तो इसके बारे में जानकारी ली । इस पर महिलाओं ने उसे संतोषी माता के व्रत की बात बतायी और महिमा का बखान किया ।

व्रत विधान सुनकर बहू ने भी संतोषी माता का व्रत शुरू कर दिया

महिलाओं ने बताया कि शुक्रवार को स्नान के बाद एक लोटे में शुद्ध जल लेकर गुड़ चने का प्रसाद लेना और सच्चे मन से मां खटाई भूल कर भी मत की पूजा करना, लेकिन भूलकर भी खटाई न तो खाना और न ही उन्हें खाने देना, व्रत विधान सुनकर बहू ने भी संतोषी माता का व्रत शुरू कर दिया ।कुछ दिनों बाद घर में पैसों की किल्लत दूर होने लगी ।  इस पर बहू ने कहा, हे मां! जब मेरा पति घर आ जाएगा तो मैं तुम्हारे व्रत का उद्यापन करूंगी  फिर मातारानी ने उसके पति को स्वप्न दिया और कहा कि तुम अपने घर क्यों नहीं जाते? तो वह कहने लगा, सेठ का सारा सामान अभी बिका नहीं । मां की कृपा से कई व्यापारी आए और सेठ का सारा सामान खरीद ले गए । अब साहूकार ने उसे घर जाने की सहमति दे दी ।  घर आकर पुत्र ने अपनी मां व पत्नी को बहुत सारे रुपए दिए । पत्नी ने कहा कि मुझे संतोषी माता के व्रत का उद्यापन करना है । उसने सभी को न्योता दे उद्यापन की सारी तैयारी की । पड़ोस की एक स्त्री उसे सुखी देख ईर्ष्या करने लगी और उसने अपने बच्चों को सिखा दिया कि तुम भोजन के समय खटाई जरूर मांगना । उद्यापन के समय खाना खाते खाते बच्चे खटाई के लिए मचल उठे तो बहू ने पैसा देकर उन्हें बहलाय । बच्चे दुकान से उन पैसों की इमली खरीदकर खाने लगे तो माता नाराज हो गईं  इसके बाद ही राजा के दूत आए और उसके पति को पकड़कर ले जाने लगे । तब किसी ने बहू को बताया कि उसके दिए पैसों से बच्चों ने इमली खाई है ।

फिर से लिया व्रत का संकल्प

इसके बाद बहू ने फिर से उद्यापन का संकल्प लिया । तभी उसे अपना पति सामने से आता दिखाई दिया । अगले शुक्रवार को उसने फिर विधिवत व्रत का उद्यापन किया ।  इससे संतोषी मां प्रसन्न हुईं और नौ माह बाद बहू को  पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई । मां की कृपा से अब घर में सभी खुशी खुशी जीवन यापन करने लगे ।