अल्मोड़ा में विराजती है “न्याय की देवी” माँ विंध्यवासिनी बानड़ी देवी, मन्नत पूरी होने पर जलाए जाते हैं अखंड दिए, जाने मंदिर से जुड़ी मान्यता

उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में 34 किलोमीटर की दूरी पर लमगड़ा में मां विंध्यवासिनी बानड़ी देवी का मंदिर स्थित है। हालांकि, 26 किमी से बाद, लगभग दस किलोमीटर तक ट्रेक करना पड़ता है।

सुरम्य वादियों में स्थित इस मंदिर की आस्था है काफी खास-

आज नवरात्रि का नवा दिन है। आज नवमी है। मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में दिए जलते हैं। आज नवमी के सुअवसर पर इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आए। घने जंगल और प्रकृति के सुरम्य वादियों में स्थित इस मंदिर की आस्था ही है कि भक्त सड़क से कई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पैदल नापकर पहुंचते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि परेशानियों से घिरा व्यक्ति मां के दर्शनभर से ही परेशानियों से मुक्त हो जाता है।

घने जंगलों के बीच मां विंध्यवासिनी का मंदिर है स्थित-

जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा लमगड़ा मार्ग पर समुद्र तल से करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बांज के घने जंगलों के बीच मां विंध्यवासिनी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में देवी भगवती पिंड के तीन शक्ति रूप में वास करती हैं। इस मंदिर में श्रद्धा के साथ नौ दिनों तक आराधना करनी पड़ती है। यह देश का ऐसा पहला मंदिर है, जहां इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अखंड दिए जलाते हैं। इस मंदिर में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ देखने को मिलती है।

जाने मंदिर से जुड़ी मान्यता-

विंध्यवासिनी मंदिर में जब चंद वंशीय राजा बालो कल्याण चंद ने 1563 में अल्मोड़ा की स्थापना की थी। उस समय चंद वंशीय राजा मां बाराही देवी का विसर्जन करना भूल गए। कहा जाता है कि तब देवी के कहने पर राजा ने उन्हें इस स्थान पर स्थापित कर दिया था। जिसके बाद इस मंदिर की स्थापना की गई। यहां देवी भगवती पिंडी के तीन शक्ति रूप में वास करती हैं। उसी समय से मंदिर में स्थानीय लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं। जिस किसी की भी मनोकामना पूरी हो जाती है, वह मां के आगे अखंड दिए जलाते हैं। जिसकी वहां के पंडित नौ दिनों तक देखरेख भी करते हैं।