गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है । आज विजय एकादशी व्रत है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने से घर परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है और वहां महालक्ष्मी जी का वास भी होता है और घर में आर्थिक समस्याएं कभी उत्पन्न नहीं होती।
जानें गुरुवार को क्यों नहीं धोने चाहिए बाल
आपने अकसर घर में बड़े बुजुर्गों को यह कहते सुना होगा कि आज गुरुवार है बाल मत धोना, और काफी बार ये भी सोचा होगा कि ये आखिर गुरुवार को ही ऐसा क्यों कहते हैं । वैसे गुरु, शनि,और मंगल के दिन भी बाल धोने समेत शेविंग नाखून काटने की भी मनाही होती है । आइए जानते हैं इसकी पीछे की वजह, आखिर क्यों होती है बाल धोने की मनाही। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महिलाओं की कुंडली में बृहस्पति को पति और संतान का कारक माना गया है ।ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार को महिलाओं के बाल धोने से उनका गुरु कमजोर होता है । जिसका असर सीधा पति और बच्चों के अलावा घर के अन्य लोगों पर भी पड़ता है । यही कारण है कि महिलाओं को गुरुवार के दिन बाल धोने से बचना चाहिए । साथ ही गुरुवार के दिन बाल काटने के पीछे भी यहीं तर्क दिया जाता है । गुरुवार को नाखून काटने से भी धन की हानि होती है । जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है ।वहीं इस दिन पोछा भी नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इस दिन पोछा लगाने से ईशान कोण कमजोर होता है और बच्चों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार गुरु को ईशान कोण का स्वामी माना गया है । ईशान कोण धर्म और शिक्षा की दिशा मानी जाती है ।इसलिए ऐसा कहा जाता है कि अगर आपने इस दिन वर्जित कार्य किए तो इससे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही रूठ जाते हैं ।
भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है पीला रंग
भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है इस दिन पूजा के समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान विष्णु जी को हल्दी, चना दाल, पीले रंग के वस्त्र, गुड, नवेद, आदि अर्पित करें ।सबसे पहले व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान कर घर के मंदिर में जाएं और भगवान को साफ कर उन्हें चावल एवं पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें थोड़ी हल्दी डालकर विष्णु भगवान या केले के पेड़ की जड़ को स्नान कराइए। अब उस लोटे में गुड़ एवं चने की दाल डाल के रख लीजिये। अगर आप केले के पेड़ की पूजा कर रहें हैं तो उसी में जल का ये मिश्रण चढ़ा दीजिये और अगर विष्णु जी की पूजा कर रहे हैं तो इस जल को पूजा के बाद पौधों में डाल दीजिए। अब भगवान को हल्दी या चंदन से तिलक करने के पश्चात पीला चावल चढ़ाएं, घी का दीपक जलाकर कथा शुरू करें। कथा के बाद भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की आरती उतारें। अंत में सभी लोगों को गुड़ और चने का प्रसाद वितरित करें ।