08 जुलाई: आज आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन, मां त्रिपुर संदरी की पूजा का विधान, जलाएं यह दीपक

आज 08 जुलाई 2024 है। आज आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन हैं। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां ललिता देवी की उपासना की जाती है। इन्हें मां त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि की तीसरी आद्य महाविद्या हैं त्रिपुर सुंदरी। राज-राजेश्वरी, बाला, ललिता, मीनाक्षी, कामाक्षी, शताक्षी, कामेश्वरी सब इनके ही नाम है। हिंदू धर्म में नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जादायक पर्व माना जाता है। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़, अश्विन (शारदीय नवरात्रि) मास में होती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक होती हैं। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि

आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन नौ दिनों में तंत्र साधना करने वाले लोग माँ भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होंगी, फल उतना ही सुखदायी होगा। मान्यता है कि भक्त  आषाढ़ नवरात्रि में गुप्त रूप से आदि शक्ति देवी दुर्गा की उपासना करते हैं उनके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है ।

सरसों तेल का जलाएं दीपक

गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन घी का दीपक जलाएं। नवरात्रि का तीसरा दिन महाविद्या माता त्रिपुरा सुंदरी की पूजा-अर्चना करने के लिए समर्पित होता है, इसलिए इनकी पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए।

जाने पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां वर देने के लिए तत्पर और सौम्य और दया से पूर्ण हृदय वाली मानी जाती हैं। मां की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाए प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान शंकर के हृदय में धारण करने वाली सती नैमिष में लिंगधारिणी नाम से विख्यात हुईं देवी मां को ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। एक अन्य कथा के अनुसार, देवी की उत्पत्ति उस वक्त हुई जब भगवान द्वारा छोड़े गए चक्र से पाताल समाप्त होने लगा। यह स्थिति देखकर ऋषि-मुनि घबरा जाते हैं। पृथ्वी लोक में पानी भरने लगता है। तब सभी ऋषि-मुनि मां ललिता देवी की उपासना करते हैं। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर मां ललिता देवी प्रकट होती हैं और इस विनाशकारी च्रक को रोक देती हैं। फिर सृष्टि को नवजीवन मिलता है।

इस तरह करें गुप्त नवरात्रि में पूजा अराधना

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-पाठ के साथ अराधना करें। सुबह और संध्या पूजा के समय दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। पूजा के दौरान माता को लोंग व बताशे का भोग चढ़ाना चाहिए। इसके साथ मां को लाल पुष्प और चुनरी भी अर्पित करें। इससे माता जल्दी प्रसन्न हो जाती है। और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती है।