पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया, जिसमें पीएम ने कई मुद्दों पर चर्चा की और अपने विचार, अनुभव साझा किए। इस दौरान उन्होंने मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (मांसपेशीय दुर्विकास) के उपचार के लिए देश के सुदूर क्षेत्र में जारी सेवा कार्य का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान की दुनिया ने अनुसंधान और नवाचार के साथ ही अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों के सहारे काफी प्रगति की है, लेकिन कुछ बीमारियां आज भी हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसी ही एक बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है।
क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
उन्होंने आगे कहा कि यह मुख्य रूप से एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। रोगी के लिए रोजमर्रा के अपने छोटे-छोटे कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे मरीजों के उपचार और देखभाल के लिए बड़े सेवा-भाव की जरूरत होती है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के रोगी यहां हो रहे ठीक
पीएम ने कहा कि हमारे यहां हिमाचल प्रदेश में सोलन में एक ऐसा केंद्र है, जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बना है। इस केंद्र का नाम ”मानव मंदिर” है। इसे इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी द्वारा संचालित किया जा रहा है। मानव मंदिर अपने नाम के अनुरूप ही मानव सेवा की अद्भुत मिसाल है। यहां मरीजों के लिए ओपीडी और दाखिला की सेवाएं तीन-चार साल पहले शुरू हुई थी। मानव मंदिर में करीब 50 मरीजों के लिए बेड की सुविधा भी है। फिजियोथेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी, 3 हाइड्रोथेरेपी के साथ-साथ योग-प्राणायाम की मदद से भी यहां रोग का उपचार किया जाता है। हर तरह की हाई-टेक सुविधाओं के जरिए इस केंद्र में रोगियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी प्रयास होता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जुड़ी एक चुनौती इस बारे में जागरूकता का अभाव भी है। इसलिए, यह केंद्र हिमाचल प्रदेश ही नहीं, देशभर में मरीजों के लिए जागरूकता शिविर भी आयोजित करता है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा हौसला देने वाली बात यह है कि इस संस्था का प्रबंधन मुख्य रूप से इस बीमारी से पीड़ित लोग ही कर रहे हैं।