उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। रंगों के त्योहार होली की धूम मची है। होली आने से पहले ही लोग होली के रंगों में रंगने लग जाते हैं। जश्न मनाते है। उत्तराखंड में होली की अपनी ही एक अलग पहचान है। उत्तराखंड में एक ऐसी जगह भी है। जहां रंगों को उड़ाकर नहीं बल्कि भस्म को उड़ाकर होली खेली जाती है।
सालों से चली आ रहीं हैं यह परंपरा
हम बात कर रहें हैं उत्तरकाशी की। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तरकाशी का काशी विश्वनाथ मंदिर में बेहद खास परंपरा है। यहां सालों से भस्म की होली खेलने की परंपरा रहीं हैं। इस होली में मंदिर के पुजारी ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु व स्थानीय लोग शामिल होते हैं और भगवान भोलेनाथ के जयकारों के साथ भक्त जमकर झूमते हैं। साथ ही भस्म उड़ाकर होली खेलते हैं। कहते हैं कि यहां इस होली के लिए साल भर होने वाले हवन यज्ञों की भस्म को इकट्ठा किया जाता है और फिर उसे छानकर तैयार किया जाता हैं। इसके बाद देश के प्रमुख शिव मंदिरों से भी भस्म लाकर इसमें मिलाई जाती है। इसके बाद यह भस्म भोलेनाथ के भक्तों को प्रसाद के रूप में भी दी जाती है। आज उत्तरकाशी में छोटी होली की सुबह बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में भस्म की होली के साथ होली के त्योहार का शुभारंभ हुआ।
उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर खेली जाती है भस्म की होली
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संबंध में उत्तरकाशी में काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत अजय पुरी ने बताया है कि यहां करीब दस सालों से उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर भस्म की होली खेलते हैं। होलिका दहन के दिन सुबह आरती के बाद यह होली खेली जाती है।