उत्तराखंड के नैनीताल जिले से करीब 65 किमी दूर कैंची धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा की ख्याति विश्व भर में हैं। आज कैंची धाम का 58वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। अल्मोड़ा मार्ग पर भवाली से आठ किमी दूर बने कैंची धाम में हर वर्ष 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाता है।
1 लाख से अधिक भक्तों ने किए दर्शन-
एतिहासिक नीब करौली महाराज के स्थापना दिवस पर बुधवार को दो साल बाद भक्तों का ताता लग गया। देश विदेश से आए भक्तों ने भी नीब करौली महाराज के दर्शन किए। अमेरिका से आए एल एक्स ने महाराज के दर्शन कर कहा कि महाराज की कृपा से भारत आने का मौका मिला। सुबह 7 बजे तक 25 हजार से अधिक श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने पहुँचे। दोपहर 1 बजे तक 1 लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए। वहीं रात 12 बजे बाद धीरे धीरे भक्त मंदिर के बाहर लाइन लगाकर खड़े होने लगे। सुबह 3 बजे तक 1 किमी लंबी लाइन लग गई। मंदिर में दर्शन करने आया कोटद्वार का श्रद्धालु सत्येंद्र बेहोश होकर गिर गया। आनन फानन में उठाकर डॉक्टरों को दिखया गया। सुबह 6 बजे आरती बाबा को भोग लगाकर मालपुए का प्रसाद वितरण शुरू किया गया।
मंदिर द्वार पर जीरो जोन-
मंदिर परिसर के आस पास पुलिस मुस्तैद रही। जीरो ज़ोन होने से वाहन गेट तक नही आ पाए। अराजकतत्वों पर पुलिस की नजर रही। एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया शांति पूर्वक मेला हो इसके लिए पुलिस जगह जगह मुस्तैद रही। श्रद्धालुओं को लाइन से दर्शन कर प्रसाद लेने भेजा गया। वहीं कंट्रोल रूम पुलिस ने खोए लोगो को परिवार स्व मिलाया। वहीं सुबह से शाम तक भक्त श्रद्धालुओं के सेवा के लिए जूते के स्टॉक पर सेवा देते रहे। टोकन देकर जूते जमा किये गए। श्रद्धालु मुख्य द्वार से प्रसाद लेकर दूसरे द्वारज़ से बाहर आते रहे।
श्रद्धलुओं को शिप्रा नदी में गर्मी से मिली राहत-
तराई क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओ ने दर्शन करने के बाद शिप्रा नदी में जाकर राहत की सांस ली। जिससे नदी में पानी मे लुप्त उठाते रहे। साथ ही नदी में परिवार के साथ सैल्फी लेकर यादे सजोते रहे।
58 साल बाद इस वर्ष पंहुचा मोबाइल नेटवर्क-
देश विदेश में अपनी पहचान बनाने वाले कैंची में 58 साल बाद इस वर्ष मोबाइल नेटवर्क पहुँच पाया है। जिससे कुछ नेटवर्क आने से लोगो को राहत मिली है। आज भी गाँव की 80 फीसदी जनसंख्या खत भेजने, संदेश आने का इंतजार करने को पोस्ट ऑफिस पर निर्भर हैं। कैंची में नीब करौली महाराज ने 15 जून 1962 में रोडवेज स्टेशन व पोस्ट ऑफिस की स्थापना की थी। लेकिन समय बदलने के साथ रोडवेज स्टेशन को सरकार ने 1973 में बंद कर दिया। फिलहाल पोस्ट ऑफिस में दो कर्मचारी ग्रामीणों की सेवा में आज भी कार्य कर रहे हैं।