उत्तराखंड में अफीम से लेकर नशे के तमाम अवैध कारोबार पर नकेल कसने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। यह टास्क फोर्स विशेष रूप से नशे के कारोबार पर नियंत्रण करने का कार्य करेगी।
जानें-
केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में यह कदम उठाया जा रहा है। इसे देखते हुए केंद्र ने सभी राज्यों को अपने स्तर पर एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बनाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में उत्तराखंड शासन में फोर्स के गठन की कवायद चल रही है। यह टास्क फोर्स आयकर विभाग, आबकारी, राजस्व विभाग, वन विभाग, स्टेट ड्रग कंट्रोलर, ग्रामीण एवं शहरी विकास विभाग, युवा सेवाएं एवं खेल विभाग और गैर सरकारी संस्थाओं का भी सहयोग लेगी। टास्क फोर्स में कितने सदस्य होंगे, इसकी अध्यक्षता किस स्तर का अधिकारी करेगा, उपकरण कौन मुहैया कराएगा, बजट की व्यवस्था कैसे होगी, इन सभी बिंदुओं पर अभी मंथन चल रहा है। खाका तैयार करने के बाद इसे कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
जानें क्या है एनसीबी-
स्वापक नियंत्रण ब्युरो या नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), ड्रग तस्करी से लड़ने और अवैध पदार्थों के दुरुपयोग के लिए भारत की नोडल ड्रग कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसी है। एनसीबी के महानिदेशक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) या भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के एक अधिकारी होते हैं।
एनसीबी क्यों बनाया गया-
नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के पूर्ण कार्यान्वयन को सक्षम करने और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1988 में अवैध तस्करी की रोकथाम के माध्यम से इसके उल्लंघन से लड़ने के लिए 17 मार्च 1986 को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बनाया गया था। नारकोटिक ड्रग्स पर एकल रोकथाम, साइकोट्रॉपिक पदार्थों पर रोकथाम और नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों में अवैध यातायात के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के तहत भारत की संधि दायित्वों को पूरा करने के लिए कानून स्थापित किया गया था। इस संगठन में अधिकारियों की सीधी भर्ती के अलावा भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और अर्धसैनिक बलों से लिया जाता है।