उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। अगस्त का महीना शुरू हो गया है। ऐसे में बरसात का मौसम जारी है। इस बरसात में में पायी जाने वाली लिंगुड़ या लिंगुड़ा नाम की जंगली सब्जी काफी पसंद की जा रही है।
सेहत के लिए लाभदायक होता है लिंगुड़ा
यह ‘फिडरहेड फर्न्स’ यानी सिरे से मुड़े हुए फर्न के नाम से और मानव स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद अनेक गुणों से युक्त ‘सुपर फूड’ के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है।लिंगुड़ा या फिडलहेड्स अपने एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण कैंसररोधी है, साथ ही यह तांबे और लोहे का भी एक अच्छा स्रोत हैं, जो नई लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए भी आवश्यक होते हैं। साथ ही इसमें एंजाइमों के उत्पादन के लिए आवश्यक मैंगनीज भी होता है जो रक्त शर्करा और थायराइड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इनमें जिंक भी होता है, जो विकास और प्रोटीन निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण खनिजों में से एक है। साथ ही इसमें कैल्शियम, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटेशियम जैसे खनिज भी मौजूद होते हैं। इसलिए इसे कुपोषण से निपटने के लिए भी एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत माना गया है। इसके अलावा लिंगुड़स विटामिन ए, बी कॉम्प्लेक्स और सी सहित पौधों के यौगिकों का एक अच्छा स्रोत हैं। विटामिन ए सूजन को कम करता है और अधः पतन को रोकने में मदद कर सकता है, जबकि विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। वहीं बी कॉम्प्लेक्स विटामिन राइबोफ्लेविन और नियासिन का एक स्रोत हैं। जबकि विटामिन बी3या नियासिन धमनियों के निर्माण को रोकने और परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है, और उच्च रक्तचाप की रोकथाम और उपचार में भूमिका निभा सकता है। साथ ही यह त्वचा को सूरज की रोशनी से बचाने व रंग को चमकदार करने में भी मदद करता है।
नमी वाली जगह पर मार्च से जुलाई के बीच उगता है लिंगुड़ा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आदि मध्य हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में समुद्र तट से 1800 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर नमी वाली जगह पर मार्च से जुलाई के मध्य उगता है। बताते हैं कि दुनिया भर में लिंगुड़े की लगभग 400 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन जंगल से इसे तोड़ने में पहचान-विशेषज्ञता की जरूरत होती है। गलती होने पर इसकी जगह किसी अन्य फर्न की सब्जी बनाना जानलेवा भी साबित हो सकता है।