उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर उत्तराखंड के पर्वतारोही रोहित भट्ट ने 101 फीट लंबा तिरंगा फहरा कर अपने नाम एक विश्व रिकॉर्ड कायम कर लिया है। रोहित उन पर्वतारोहियों में शामिल हैं, जो उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा एवलॉन्च में जिंदा बचकर आए थे। इतना ही नहीं उन्होंने 4 लोगों की जान बचाई थी। इस एवलॉन्च में माउंट एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल, पर्वतारोही नौमी रावत, पर्वतारोही अजय बिष्ट समेत 29 पर्वतारोहियों की जान चली गई थी। वहीं, रोहित ने इस सभी पर्वतारोहियों को माउंट एल्ब्रुस पर श्रद्धांजलि दी।
रोहित भट्ट ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस किया फतह
उत्तराखंड के टिहरी जिले के रोहित भट्ट ने यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस फतह किया है। रोहित ने माउंट एल्ब्रुस पर 101 फीट लंबा तिरंगा फहरा कर एक विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है। उन्होंने यह विश्व रिकॉर्ड बनाकर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। वहीं, रोहित ने उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा एवलॉन्च में जान गंवाने वाले अपने साथियों की तस्वीर लगे बैनर को भी चोटी में लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पर्वतारोही रोहित भट्ट ने फहराया तिरंगा
दरअसल, टिहरी के पर्वतारोही रोहित भट्ट ने यूरोप महाद्वीप के माउंट एल्ब्रुस (5642 मीटर) पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फहराया है। उन्होंने माउंट एल्ब्रुस (Mount Elbrus) को 19 अगस्त 2023 की सुबह 6:25 बजे पर फतह किया। इतना ही नहीं रोहित ने माउंट एल्ब्रुस या एलब्रुस पर 101 फीट लंबा तिरंगा भी फहराया। जो एक रिकॉर्ड बन गया है।
माउंट किलिमंजारो चोटी कर चुके फतह
बता दें कि इससे पहले पर्वतारोही रोहित भट्ट तंजानिया के माउंट किलिमंजारो चोटी को फतह (Mount Kilimanjaro) कर चुके हैं। यह चोटी अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों में शुमार है। उन्होंने इस समिट को 3 दिन यानी 16 घंटे 12 मिनट में पूरा कर रिकॉर्ड कायम किया है। जबकि, इसे फतह करने में 6 दिन लगते हैं। इस समिट के लिए 23 जनवरी 2023 को रोहित भारत से तंजानिया के लिए रवाना हुए थे। 25 जनवरी की सुबह तंजानिया के किलिमंजारो पार्क से यात्रा शुरू की।
द्रौपदी का डांडा 2 में आए एवलॉन्च में रोहित भट्ट सकुशल बच निकले थे
बीती साल 4 अक्टूबर 2022 में उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा 2 में आए एवलॉन्च में रोहित भट्ट सकुशल बच निकले थे। रोहित ने बताया कि द्रौपदी का डांडा एवलांच में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के 29 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने रेस्क्यू अभियान के दौरान एक इंस्ट्रक्टर समेत 4 लोगों की जान बचाई गई थी। कुछ महीने तक बेड रेस्ट के बाद वो फिर से पर्वतारोहण के लिए तैयार हुए।