उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। विकास प्राधिकरण क्षेत्र में कोई भी विकास और निर्माण कार्य करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य है। शहरी क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य रोकने के लिए सरकार सेटेलाइट तस्वीरों से निगरानी करने का निर्णय लिया है। इसके लिए जीआईएस आधारित मानचित्र, अर्बन लैंड यूज मैपिंग पद्धति अपनाई जाएगी।
अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विकास प्राधिकरणों को जारी किए आदेश
राज्य के शहरी क्षेत्रों में अब सेटेलाइट तस्वीरों से अवैध रूप से बनने वाली कॉलोनियों व निर्माण कार्य चिह्नित किए जाएंगे। इसके लिए हर तीन महीने में सेटेलाइट तस्वीर ली जाएंगी। साथ ही संबंधित क्षेत्रों में तैनात प्राधिकरणों के नोडल अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विकास प्राधिकरणों को आदेश जारी किए हैं।
निर्माण कार्य करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य
आदेश के अनुसार नगर एवं ग्राम नियोजन और विकास अधिनियम के तहत विकास प्राधिकरण क्षेत्र में कोई भी विकास और निर्माण कार्य करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य है। शहरी क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य रोकने के लिए सरकार सेटेलाइट तस्वीरों से निगरानी करने का निर्णय लिया है।
अपनाई जाएगी अर्बन लैंड यूज मैपिंग पद्धति
इसके लिए जीआईएस आधारित मानचित्र, अर्बन लैंड यूज मैपिंग पद्धति अपनाई जाएगी। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, रुड़की विकास प्राधिकरण हरिद्वार समेत सभी जिला विकास प्राधिकरण में होने वाले निर्माण कार्यों में सेटेलाइट तस्वीरों को इस्तेमाल कर हर तीन महीने में अवैध निर्माण चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। प्राधिकरणों को दिशानिर्देश दिए गए कि विकास क्षेत्र में तैनात नोडल अधिकारी के कार्यभार छोड़ने और ग्रहण करते समय क्षेत्र की वर्तमान स्थिति के मानचित्र पर हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से किए जाएंगे। जिससे यह तय हो सके कि किस अधिकारी के कार्यकाल में अवैध निर्माण किया गया।