अल्मोड़ा: पर्यावरणीय तकनीकों को बिजनेस मॉडल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए – डॉ. एकलव्य शर्मा

👉हिमनद तथा हिमनद झीलों की विस्तृत इन्वेंटरी बनाने तथा इनकी निरंतर मोनिटरिंग करने की आवश्यकता – डा० कलाचंद सेन
👉पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल में वर्षभर किये गए शोध एवं विकास गतिविधियों की समीक्षा बैठक आयोजित

आज दिनांक 04 मई, 2023 को गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में दो दिवसीय वैज्ञानिक सलाहकार समिति की 31वी समीक्षा बैठक का शुभारंभ हुआ।  यह बैठक प्रतिवर्ष संस्थान द्वारा वर्षभर किये गए शोध एवं विकास गतिविधियों की समीक्षा हेतु आयोजित की जाती है।

शोध एवं विकास सम्बंधित कार्यों से अवगत कराया

बैठक के प्रथम दिन अपने स्वागत उद्बोधन में संस्थान के निदेशक डा० सुनील नौटियाल ने उपस्थित वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों तथा संस्थान के अन्य सभी कर्मचारियों का स्वागत किया तथा उन्हें संस्थान के मुख्यालय तथा क्षेत्रीय केन्द्रों द्वारा किये जा रहे शोध एवं विकास सम्बंधित कार्यों से अवगत कराया।

कॉन्सॉर्टियम आधारित परियोजनाओं द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में कार्य करने की पहल, एक अच्छा कदम

अपने अध्यक्षीय संबोधन में वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ. एकलब्य शर्मा ने संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की। इसके लिए उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों को बधाई दी। उन्होंने संस्थान द्वारा कॉन्सॉर्टियम आधारित परियोजनाओं द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में कार्य करने की पहल को एक अच्छा कदम बताया और कहा कि संस्थान के पास हिमालयी क्षेत्र के विकास हेतु एक विस्तृत दृष्टिकोण है जो हिमालय क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी बात है। उन्होंने संस्थान को सतत एवं प्रभावी बनाने पर जोर दिया कहा कि संस्थान को प्राइवेट बिसनेस मॉडल की दिशा में ले जाना होगा। उन्होंने पृथ्वी के बढ़ते तापमान तथा जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर की और कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन अनुकूलन तथा लचीलेपन की दिशा में कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने उद्यमिता विकास पर जोर दिया कहा कि पर्यावरणीय तकनीकों को बिजनेस मॉडल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

हिमनद तथा हिमनद झीलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी

बैठक के दौरान डा० कलाचंद सेन, निदेशक, वाडिया इंस्टिट्यूट, देहरादून, ने “क्लाइमेट इनड्यूसड जियो -हैजार्ड्स इन द हिमालया एंड प्लौसिबल मिटीगेशन” विषय पर कीनोट व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में उन्होंने जलवायु परिवर्तन से होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बताया। उन्होंने हिमनद तथा हिमनद झीलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी बताया कि जलवायु परिवर्तन से हिमनद और हिमनद झीलें किस प्रकार प्रभावित होती हैं। उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में आपदा प्रतिरोधी कम्युनिटी बनाये जाने पर बल दिया और कहा कि होने वाली आपदा की पूरी प्रक्रिया को समझने की आवश्यकता है जिससे कि प्रारम्भिक अलार्म सिस्टम विकसित किया जा सके ताकि जान माल का ज्यादा नुकसान ना हो। उन्होंने हिमनद तथा हिमनद झीलों की विस्तृत इन्वेंटरी बनाने तथा इनकी निरंतर मोनिटरिंग करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए स्थानीय समुदाय को आपदाओं हेतु संवेदनशील बनाने की बात कही ।

प्रथम दिवस को नॉलेज शेयरिंग डे का नाम दिया गया

बैठक के प्रथम दिवस को नॉलेज शेयरिंग डे का नाम दिया गया जिसमें संस्थान के युवा वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने हिमालयी क्षेत्र में संस्थान के मुख्यालय अल्मोड़ा एवं इसकी क्षेत्रीय केन्द्रों द्वारा किये जा रहे शोध कार्यों, क्षेत्रीय मुद्दों एवं उपलब्धियों तथा भविष्य की चुनौतियों हेतु रणनीति आदि गंभीर विषयों पर प्रस्तुतिकरण दिया। बैठक के दौरान संस्थान द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं का इन्सेप्सन सेमीनार भी आयोजित किया गया जिसमें संस्थान के निदेशक डा० सुनील नौटियाल, डा० कपिल केसरवानी, डा० संदीप रावत तथा डा० संदीपन मुख़र्जी ने नयी परियोजनाओं के बारे में बताया। बैठक के दौरान संस्थान के शोधार्थियों के साथ मस्तिष्क मंथन किया जिसमें हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन एवं स्थानीय जनसमुदाय की भागीदारी द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं आजीविका वृद्धि सम्बंधित मुख्य मुद्दों पर एक रूपरेखा बन कर सामने आई। इन मुद्दों पर वैज्ञानिक सलाहकार समिति ने अपने अनुभवों को साझा किया तथा इन मुद्दों पर अति शीघ्र कार्य करने हेतु दिशा निर्देश दिए।

वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में समिति में उपस्थित रहे

वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष डा० एकलब्य शर्मा (ऍफ़एनए), डॉ0 राजीव मोहन पन्त, कुलपति, असम विश्वविद्यालय, सिलचर, डॉ0 अरून कुमार सराफ, प्रोफेसर, इण्डियन इंस्टिट्यूट  ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की, डा० कलाचंद सेन, निदेशक, वाडिया इंस्टिट्यूट, देहरादून, डॉ0 संदीप ताम्बे, प्रोफेसर, इण्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ फोरेस्ट मैनेजमैंट, भोपाल, उपस्थित थेएम
बैठक में संस्थान के केंद्र प्रमुखों ई० किरीट कुमार, डा० जे०सी० कुनियाल, डा० जी०सी०एस० नेगी, डा० आई०डी० भट्ट सहित संस्थान के मुख्यालय एवं क्षेत्रीय केन्द्रों के समस्त वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों एवं शोधार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

विगत एक वर्ष के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे शोध एवं विकासात्मक कार्यों को कल किया जाएगा प्रस्तुत

वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक के क्रम में कल दूसरे दिन दिनांक 05 मई, 2023 को संस्थान के चारों केन्द्राध्यक्षों तथा क्षेत्रीय केन्द्रों के प्रमुखों द्वारा केन्द्रों द्वारा विगत एक वर्ष के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे शोध एवं विकासात्मक कार्यों को पावर प्वाइंट स्लाईड शो के माध्यम से वैज्ञानिक सलाहकार समिति के समक्ष विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया जाएगा। यह प्रस्तुतीकरण संस्थान द्ववारा चलाई जा रही विभिन्न इस हाउस परियोजनाओं जैसे कि जलस्रोत-पारिस्थितिकी तंत्र आकलन के माध्यम से हिमालय में जल सुरक्षा और प्रबंध, आजीविका सुधार और हिमालय में पर्यावरण सुरक्षा हेतु समुदाय संचालित ईकोस्मार्ट मॉडल ग्राम विकास, भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जलवायु स्मार्ट समुदायों को बढ़ावा देना तथा सतत विकास हेतु हिमालयी जैव विविधता को मुख्यधारा में लाना पर आधारित होंगे। प्रस्तुतीकरण के पश्चात वैज्ञानिकों तथा वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्यों के मध्य गहन विचार विमर्श होगा। वैज्ञानिक सलाहकार समिति द्वारा परियोजनाओं के अंतर्गत किये गए कार्यों की समीक्षा की जायेगी. इसके अलावा राष्ट्रीय हिमालयन अध्ययन मिशन (एन.एम्.एच.एस.) परियोजना तथा माउंटेन डिवीज़न पर भी प्रस्तुतीकरण होंगे  तथा उन पर सम्बंधित परिचर्चा होगी। बैठक के अंत में भविष्य की रणनीति और कार्रवाई पर विचार विमर्श किया जाएगा।