विश्व एड्स दिवस: “इक्विलाइज़”- ए कॉल टू एक्शन, जानिये इसके कारण, लक्षण और बचाव



1988 से हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह जागरूकता बढ़ाने, शिक्षित करने और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में एचआईवी के बारे में समझ विकसित करने के प्रति समर्पित दिवस है। लेकिन एड्स विश्व भर में आज भी एक भयावह शब्द है, जिसे सुनते ही भय के मारे पसीना छूटने लगता है। एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिन्ड्रोम) का अर्थ है शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होने से अप्राकृतिक रोगों के अनेक लक्षण प्रकट होना। इस वर्ष डब्ल्यूएचओ द्वारा दी गई थीम: “इक्विलाइज़” एक कॉल टू एक्शन” हैं। यह हम सभी के लिए कार्रवाई का आह्वान है कि असमानताओं को दूर करने और एड्स के उन्मूलन में सहायता के लिए आवश्यक आजमाए हुए और सच्चे तरीकों को आगे बढ़ाया जाए।  एचआईवी का संक्रमण एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, वैसे तो किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। एम्स में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ संजीव सिन्हा बताते हैं कि इस संक्रमण को मरीज में जब 4-5 साल हो जाते हैं तब कई अलग-अलग लक्षण आने लगते हैं जिनमें दस्त लगना, वजन घटना, बुखार होने लगता है। इसके अलावा खांसी-बलगम आना, कई दूसरे तरह के संक्रमण होना, टीबी की समस्या होना शामिल हैं।

संकेत एवं लक्षण

> एचआईवी के लक्षण संक्रमण के स्तर के आधार पर भिन्न होते हैंI प्रारंभिक संक्रमण के बाद पहले कुछ हफ़्तों में व्यक्ति को किसी तरह के लक्षणों का अनुभव नहीं होता है या बुखार, सिरदर्द, दाने या गले में ख़राश सहित इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण महसूस हो सकते है।

> संक्रमण बढ़ने पर किसी व्यक्ति में अन्य संकेत एवं लक्षण जैसे कि लिम्फ नोड्स में सूजन, वज़न में कमी, बुखार, दस्त और खांसी हो सकती है।

> उपचार के बिना उनमें गंभीर रोगों जैसे कि तपेदिक, मेनिन्जाइटिस, गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण और कैंसर विकसित हो सकता हैं।

बचाव या इलाज

डॉ. सिन्हा बताते हैं कि हाई रिस्क वाले मरीज या एचआईवी के लक्षण हैं उन्हें तुरंत एआरटी सेंटर जाना चाहिए, जो हर अस्पताल में मौदूज होता है। एचआईवी का वायरस शरीर में पहुंच कर सीधे CD-4 कोशिकाओं पर हमला करता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। इसलिए अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो मरीज की स्थिति बिगड़ने लगती है।

एड्स के लिए जागरूकता सबसे बेहत्तर रोकथाम है। एचआईवी संक्रमण का कोई उपचार नहीं है। हालांकि, प्रभावी एंटीरिट्रोवाइरल (एआरवी) दवाएं वायरस को नियंत्रित करती हैं तथा वायरस फैलने में मदद करती हैं। एंटीरेट्रोवाइरल (एआरवी) थेरेपी के माध्यम से एचआईवी से पीड़ित लोग और पर्याप्त ज़ोखिम वाले लोग स्वस्थ, दीर्घ और रचनात्मक जीवन का आनंद ले सकते हैं।

एचआईवी से बचाव के सामान्य उपाय

> डॉ. सिन्हा बताते हैं कि इसके लिए जरूरी है प्रोटेक्टेड सेक्स करना चाहिए। कंडोम का प्रयोग करें, मल्टीपल पार्टनर नहीं होने चाहिए।

> अगर कोई गर्भवती मॉं एचआईवी से संक्रमित है तो उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और जरूरी दवाओं का सेवन करना चाहिए बच्चा इस वायरस से सुरक्षित रहे।

> इसके अलावा एंटी नेटल क्लिनिक में एचआईवी की जांच कराएं

> संक्रमण रहित खून ही चढ़ाएं

> साफ और संक्रमण रहित सुई या सिरिंज का प्रयोग करें

कैसे नहीं फैलता एचआईवी

> गले मिलने, हाथ मिलाने, तौलिया साझा करने, खाना बांटने या एचआईवी-पॉजिटिव पीड़ित के साथ खाना खाने से यह नहीं फैलता है।

> मच्छरों, टिक या अन्य रक्त-चूसने वाले कीटों से एचआईवी नहीं फैलता है।

डॉ. सिन्हा का कहना है कि बचाव के लिए जरूरी है कि एचआईवी संक्रमण के बारे में जानकारी हो, जोखिम भरे व्यवहार से बचाव किया जाए। सावधानी अपनाकर एचआईवी के संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी जागरूकता है।