1 अक्टूबर :अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस : बुजुर्गों के प्रति समझे अपनी जिम्मेदारी


दुनिया भर में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। समाज और नई पीढ़ी को सही दिशा दिखाने और मार्गदर्शन के लिए वरिष्ठ नागरिकों के योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस मनाया जाता है। इस आयोजन का फ़ैसला संयुक्त राष्ट्र ने 1990 में लिया था। इस अवसर पर अपने वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करने एवं उनके सम्बन्ध में चिंतन करना आवश्यक होता है। आज का वृद्ध समाज से कटा रहता है और सामान्यत: इस बात से सर्वाधिक दुखी है कि जीवन का अनुभव होने के बावजूद कोई उनकी राय न तो लेना चाहता है और न ही उनकी राय को महत्व देता है। इस प्रकार अपने को समाज में एक तरह से अहमियत न समझे जाने के कारण वरिष्ठ समाज दुखी रहते हैं। वृद्ध समाज को इस दु:ख और कष्ट से छुटकारा दिलाना आज की सबसे बड़ी जरुरत है।

वरिष्ठ नागरिक समाज के नेताओं के रूप में अपने कंधों पर बहुत जिम्मेदारी लेते हैं। वे समाज की परंपराओं, संस्कृति को भी आगे बढ़ाते हैं और ज्ञान को युवा पीढ़ी तक पहुंचाते हैं। उन्हें कभी-कभी दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ता है, जिसका उन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इस दिन को अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए वृद्ध लोगों के प्रति दुनिया की जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी चिह्नित किया जाता है। कोरोना काल में भी दुनियाभर में वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार, उपेक्षा की घटनायें सामने आई। कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा उम्रदराज लोगों को ही है, ऐसे में जरूरत हैं उन्हें समझने की, संकट की घड़ी में चारदिवारी में सिमट कर रह गये बुजुर्गों के जिंदगी में रंग भरने की।

दुनिया में बढ़ रही बुजुर्गों की संख्या

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की जनसंख्या 600 मिलियन है। यह संख्‍या 2025 तक दोगुनी और 2050 तक 2 बिलियन को छूने के लिए तैयार है। उनमें से 80% निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहेंगे। उनकी आबादी 10 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ-साथ युवाओं को भी पछाड़ देगी। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बुजुर्गों की आबादी में वृद्धि सबसे तेजी से होगी।

भारत में बुजुर्ग

*संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की 2019 रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1.36 बिलियन है जिनमें 6% जनसंख्या 65 और उससे अधिक है।

* ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की बात करें तो 73 मिलियन से अधिक लोग यानी 71% बुजुर्ग आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि 31 मिलियन या 29% बुजुर्ग आबादी शहरी क्षेत्र में हैं।

* 1971 में बुजुर्गों का लिंगानुपात 938 महिलाओं पर 1,000 पुरुष और 2011 में 1,033 हो गया और 2026 तक बढ़कर 1,060 हो जाने का अनुमान है।

बुजुर्गों के लिये खास योजनायें

* स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय, भारत सरकार ने बुजुर्गों की विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य संबंधित समस्‍याओं का समाधान करने के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राष्ट्रीय बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (एनपीएचसीई) की शुरूआत की।

* एनपीएचसीई का मूल उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं सहित प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्तरों पर राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण प्रणाली के माध्यम से बुजुर्गों को स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना है।

* सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग, रेल मंत्रालय, गृह मंत्रालय और नागर विमानन मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों ने बुजुर्गों के कल्याण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का कार्यान्वयन किया है।

* राष्ट्रीय वयोश्री योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना, वरिष्ठ पेन्शन बिमा योजन, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना चलाई जा रही हैं।

कानूनी अधिकारी

* बुजुर्गों के लिये अनुच्छेद 41 और अनुच्छेद 46 बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए संवैधानिक प्रावधान हैं।

*हिंदू विवाह और दत्तक अधिनियम, 1956 की धारा 20 में वृद्ध माता-पिता को रखने के लिए अनिवार्य प्रावधान हैं।

* आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत, बुजुर्ग माता-पिता अपने बच्चों से रखरखाव का दावा कर सकते हैं।

* माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का रखरखाव और कल्याण अधिनियम, 2007, बच्चों या वारिसों के लिए अपने माता-पिता या परिवार के वरिष्ठ नागरिकों को साथ रखने के लिए कानूनी बाध्य है। इस बिल में ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019’ प्रस्तुत किया गया।