आज 15 जून 2022 है। आज उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम का स्थापना दिवस है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नाम है- नीम करोली बाबा आश्रम। एकदम शांत, साफ-सुथरी जगह, हरियाली, सुकून. समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थि नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित यह आश्रम धर्मावलंबियों के बीच कैंची धाम के रूप में लोकप्रिय है।
मेले का आयोजन-
श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। इस बार कैंची धाम का 58वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। भंडारे और मेले के लिए पुलिस प्रशासन सहित मंदिर समिति ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. मेले के दिन मालपुओं का प्रसाद बांटा जाएगा जिसके लिए मंदिर में करीब 8 से 10 छोटे-बड़े गैस के भट्ठे लगाए गए हैं। इससे पहले तक लकड़ी के चूल्हों पर मालपुआ बनाए जाते थे। 15 जून की सुबह बाबा नीम करौली को भोग लगाने के बाद मालपुओं को प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा।
कैंची धाम स्थापना दिवस-
आज देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है और यहां पर देश-विदेश से बाबा नीम करौली के भक्त आते हैं। इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है। यह एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता। यहां बाबा का समाधि स्थल भी है। नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है। नीम करोली बाबा के भक्तों में पीएम मोदी, एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का नाम लिया जाता है।
चमत्कारिक धाम-
बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।
20वीं सदी के महान संतों में की जाती है नीम करोली बाबा की गिनती-
नीम करोली या नीब करौरी बाबा की गिनती 20वीं सदी के महान संतों में की जाती है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर दूर कैंची धाम आश्रम की स्थापना बाबा ने 1964 में की थी।1961 में वे यहां पहली बार पहुंचे थे और अपने एक मित्र पूर्णानंद के साथ आश्रम बनाने का विचार किया था। नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। केवल उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बाबा के चमत्कारों की चर्चा होती है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाबा के बारे में चर्चा कर चुके हैं। कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया था। हनुमान जी को वे अपना गुरु और आराध्य मानते थे। बाबा ने अपने जीवन में करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए।
युग के दिव्य पुरुषों में से एक माने जाते हैं-
मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। एकदम आम आदमी की तरह जीने वाले बाबा नीम करोली तो अपना पैर भी छूने नहीं देते थे। ऐसा करने वालों को वे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। उन्हें इस युग के दिव्य पुरुषों में से एक माना जाता है।
⚫ उनके माथे पर न त्रिपुण्ड लगा होता था न गले में जनेऊ और कंठमाला। उन्होंने देह पर साधुओं वाले वस्त्र भी कभी धारण नहीं किए। आश्रम आने वाले भक्त जब उनके पैर छूने लगते थे तो वे कहते थे पैर मंदिर में बैठे हनुमान बाबा के छुओ।
⚫ कैंची धाम पर श्रद्धा रखने वाले भक्त देश ही विदेश में भी हैं। जैसे विदेशी भक्त और जाने-माने लेखक रिच्रर्ड एलपर्ट जिन्होंने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है, जिसमें बाबा के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है।