आज 17 अगस्त 2025 है। आज रोहिणी व्रत है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र है। इस नक्षत्र में किया जाने वाला व्रत रोहिणी व्रत कहलाता है। जब उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत को त्योहार की तरह मनाया जाता है।
सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल
जब उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस दिन जैन समुदाय के लोग भगवान वासुपूज्य की पूजा करते हैं। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को प्रात: छह बजकर 29 मिनट पर लगेगा, जो 18 अगस्त को भोर में 4 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा।
जानें पूजन विधि
प्रात: जल्दी उठकर स्नान करके व्रत रखा जाता है। इसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर पूजा का संकल्प लिया जाता है। स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना की जाती है। उनकी आराधना करके वस्त्र, धूप-दीप, फूल, फल और नैवेद्य का भोग लगाया जाता है। इसके बाद मंदिरों में जाकर या किसी भी जरूरतमंद को दान देने का भी बहुत महत्व माना जाता है। रोहिणी व्रत पर पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्यास्त से पहले फलाहार करके रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है। जैन धर्म में रात के समय भोजन करना वर्जित है, इसलिए लोगों को सूर्यास्त से पहले फल का सेवन करना चाहिए।