आज 18 अक्टूबर है। आश्विन नवरात्र की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो गई है। हिंदू धर्म में नवरात्र का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज नवरात्र का चौथा दिन है।
मां कूष्मांडा पूजन विधि
आज शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्माण्डा की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान आदि के बाद माता कूष्मांडा को नमन करें। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें। कहा जाता है कि यदि कोई लंबे समय से बीमार है, तो मां कूष्मांडा की विधि-विधान से की गई पूजा उस व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करती है। पूजा के दौरान देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। चाैथे नवरात्रि में देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान करें। आखिर में अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
जानें मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है।
जानें मां कूष्मांडा की व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा से तात्पर्य है कुम्हड़ा। कहा जाता है कि मां कूष्मांडा ने संसार को दैत्यों के अत्याचार से मुक्त करने के लिए ही अवतार लिया था। इनका वाहन सिंह है। हिंदू संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इन्हें आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है। मान्यता है कि इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में स्थित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
स्तुति मंत्र
पूजा मंत्र – ॐ कूष्माण्डायै नम: ध्यान मंत्र – वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥