23 अक्टूबर: आज शारदीय नवरात्र की नवमी मां सिद्धिदात्री को समर्पित, जानिए पूजा-विधि व कन्या पूजन मुहूर्त

आज 23 अक्टूबर है। आश्विन नवरात्र की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो‌ गई है। हिंदू धर्म में नवरात्र का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज नवरात्र की नवमी है। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना के साथ होती है और इसका समापन आज नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ होगा। इस दिन हवन और कन्या पूजन के साथ माता को विदाई देने का विधान है।

महानवमी आज

आज नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार नवमी तिथि 23 अक्टूबर, सोमवार के दिन पड़ रहा है। इसे महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार नवमी तिथि 22 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 58 मिनट पर शुरू हो गई है और इसका समापन 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट पर होगा‌।

महानवमी कन्या पूजन

आज 23 अक्टूबर को कन्या पूजन मुहूर्त सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सुबह 9 बजकर 16 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इस दिन अन्य पूजन मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 55 मिनट तक और उसके बाद दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।

मां सिद्धिदात्री पूजन विधि

शारदीय नवरात्रि का आज नवां दिन है। आज मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही उसे ज्ञान, बुद्धि, धन, ऐश्वर्य इत्यादि सभी सुख-सुविधाओं की भी प्राप्ति होती है। कई लोग नवरात्र पर्व की नवमी तिथि को कन्या पूजन करके 9 दिनों से चले आ रहे व्रत का पारण करते हैं। इस दिन हवन व आरती से इस विशेष पर्व का समापन करते हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करके पूजा स्थल की साफ सफाई करें। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से सिक्त करें। फिर मां सिद्धिदात्री को फूल, माला, सिंदूर, गंध, अक्षत इत्यादि अर्पित करें। साथ ही तिल और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं। इस दिन आप मालपुआ, खीर, हलवा, नारियल इत्यादि भी माता को अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद माता सिद्धिदात्री स्तोत्र का पाठ करें और धूप दीप जलाकर माता की आरती करें। आरती से पूर्व दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करना ना भूले।

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप

पुराणों के अनुसार माता सिद्धिदात्री मां लक्ष्मी की ही भांति कमल पर विराजमान रहती हैं और माता के चार भुजाएं हैं जिनमें से प्रत्येक भुजा में शंख, चक्र और कमल का फूल विराजमान है। शास्त्रों के अनुसार माता सिद्धिदात्री सभी आठ सिद्धियों की देवी है जिन्हें अणिमा, ईशित्व, वशित्व, लघिमा, गरिमा, प्राकाम्य, महिमा और प्राप्ति के नाम से जाना जाता है। माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से इन सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

स्तुति मंत्र

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम् ।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।