मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भवदीप रावटे की अदालत में अभियुक्त अनुज उर्फ मनोज सिंह बिष्ट की जमानत याचिका स्वीकार कर ली गयी है ।
अभियोजन की ओर से आख्या प्रस्तुत की गयी
अभियुक्त अनुज उर्फ मनोज सिंह बिष्ट पुत्र हर सिंह बिष्ट के अधिवक्ता भगवत सिंह मेर, दीप चंद्र जोशी, कृष्णा बाराकोटी, पंकज बजेठा, विक्रांत भटनागर, निखिलेश पवार के द्वारा प्रस्तुत मामले में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया , अभियुक्त की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र में लिये गये आधार संक्षेप में इस प्रकार हैं कि अभियुक्त निर्दोष है, उस पर लगाये गये सभी आरोप झूठे हैं, उसे झूठा मामला बनाकर फंसाया गया है. अभियुक्त जमानत की शर्तों का अनुपालन करेगा, अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाये।
पत्रावली का अवलोकन किया गया
विद्वान अभियोजन अधिकारी एवं अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता को जमानत के स्तर पर सुना व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
अभियुक्त के विरुद्ध पंजीकृत उपरोक्त धाराओं का अपराध, मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है व उपरोक्त धाराओं का अपराध तीन वर्ष तक की सजा से दण्डनीय हैं। मामले में आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत हो चुका है। अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में है, बाद जमानत उसके फरार होने की संभावना प्रतीत नहीं होती है। अतः मामले के गुण-दोष पर कोई राय न देते हुए अभियुक्त की जमानत याचिका को स्वीकारा गया है ।
यह आदेश दिया गया
अभियुक्त अनुज उर्फ मनोज सिंह बिष्ट का जमानत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 153 (बी) 505 (2) भारतीय दण्ड संहिता में स्वीकार किया जाता है। अभियुक्त को रु. 25000/- (पच्चीस हजार रुपये) का व्यक्तिगत बन्ध-पत्र एवं समान धनराशि के दो सक्षम एवं विश्वसनीय जमानती प्रस्तुत करने पर, दौराने वाद, जमानत पर रिहा किया जाये।