वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को प्रेस वार्ता की। इस वार्ता में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी शामिल रहे। इस दौरान कैबिनेट ने जम्मू और श्रीनगर में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की पीठों के लिए न्यायिक सदस्यों के 2 पदों और प्रशासनिक सदस्यों के 2 पदों के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके साथ ही कैबिनेट ने जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम विधेयक 2021 को भी मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक के बाद कंपाउंडेबल अपराधों की संख्या अब 21 से घटाकर 7 की जाएगी।
90 दिन के भीतर वापस मिलेंगे ग्राहकों के पैसे
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ”आरबीआई अगर किसी बैंक पर मोरेटोरियम लगाती है तो लोगों को पैसे वापस पाने में किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का गठन किया गया था। कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया कि 90 दिन के भीतर जमाकर्ताओं को पांच लाख रुपये तक की रकम वापस मिल जाएगी।”
कैबिनेट मीटिंग के मुख्य बिंदु
1. डीआईसीजीसी विधेयक
बैंक और ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गई है। इसके जरिए बंद हो चुके बैकों के ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। ऐसे में, अब बैंक के डूबने की स्थिति पर जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर ही पांच लाख रुपये मिल जाएंगे। इसके अलावा यदि किसी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो बैंक ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक का डिपॉजिट इंश्योरेंस मिलेगा।
2) यह नियम चार फरवरी 2020 से लागू है। डिपॉजिट इंश्योरेंस में बीते 27 वर्षों में पहली बार बदलाव किया गया है।
3) वित्त मंत्री ने बताया कि संशोधित डीआईसीजीसी अधिनियम के साथ, अब जमा बीमा कवरेज बढ़कर कुल बैंक खाताधारकों का 98.3 फीसदी हो जाएगा।
4) जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम सभी बैंक जमाओं का बीमा करता है और सभी वाणिज्यिक बैंकों को कवर करता है, यहां तक कि भारत में काम कर रहे विदेशी बैंकों की शाखाएं भी इसमें शामिल हैं।
DICIG के, 1961 की धारा 16(1) के तहत, अगर कोई बैंक डूबता है या दिवालिया होता है तो ग्राहक के डिपॉजिट पर 5 लाख रुपए तक बैंक लौटाएगा.
डीआईसीजीसी ही यह सुनिश्चित करता है कि बैंक डूबने पर जमाकर्ताओं को कम से कम पांच लाख रुपए वापस किए जाएं। हालांकि पहले यह राशि केवल एक लाख रुपए ही थी, जिसे केंद्र सरकार ने बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दिया था।
बताते चलें कि डीआईसीजीसी आरबीआई का सब्सिडियरी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर देता है। चूंकि, अभी तक लागू नियम के अनुसार जमाकर्ताओं को बीमे का पांच लाख तब तक नहीं मिलेगा, जब तक रिजर्व बैंक की कई प्रक्रियाएं पूर्ण नहीं हो जाती। यही कारण है कि इस स्थिति में खाताधारकों को लंबे समय तक पैसे का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन एक्ट में बदलाव के बाद उनको बड़ी राहत मिल सकेगी।