नैनीताल जिले से जुड़ी खबर सामने आई है। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में वन विभाग झील, नदी-पोखरों के किनारे 34 क्षेत्रों को आर्द्रभूमि (वेटलैंड) घोषित करने के लिए सर्वे में जुटा है। आर्द्रभूमि घोषित होने के बाद इन क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सकेगा। इसमें ऐसे क्षेत्र भी होंगे, जहां घोषित एरिया के 50 मीटर दायरे में निर्माण पर प्रतिबंध लग सकता है।
अंतिम अधिसूचना शासनस्तर से होगी जारी
अब तक नैनी झील सहित सूखाताल, खुर्पाताल, सड़ियाताल सहित आधा दर्जन क्षेत्रों में सर्वे हो चुका है। वन विभाग सर्वे पूरा कर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी के माध्यम से रिपोर्ट भेजेगी। अंतिम अधिसूचना शासनस्तर से होगी। 2020 में उत्तराखंड आर्द्रभूमि प्राधिकरण की ओर से समस्त जिलाधिकारियों से पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार की 2017 की आर्द्रभूमि के संरक्षण एवं संवर्धन तथा वैज्ञानिक प्रबंधन को संबंधी अधिसूचना के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी थी।
वेटलैंड का डिजिटल मानचित्र किया जाएगा तैयार
इसी अधिसूचना के तहत राज्यस्तरीय प्राधिकरण का भी गठन किया गया था। जिलास्तरीय समिति की ओर से वेटलैंड के लिए दस्तावेज तैयार किए जाने थे। जिले में वेटलैंड का डिजिटल मानचित्र तैयार किया जाएगा।
नैनीताल में हैं 34 वेटलैंड क्षेत्र
नैनीताल में 34 वेटलैंड क्षेत्र हैं। जिनमें वन प्रभागों के अंतर्गत नैनीताल, सूखाताल, खुर्पाताल, सड़ियाताल, हरीशताल, नलदमयंती ताल सहित जिले के धारी तहसील अंतर्गत काली, सीटीआर में रामगंगा, खैरना नदी, कोसी, रामनगर में फीका नदी, बौर नदी, निहाल नाला, गौला, लधिया, भाखड़ा नदी, करारी नदी, नंधौर, बेगुल नदी में 34 आर्द्रभूमि क्षेत्र चिह्नित होने हैं।
जैव विविधता संरक्षण के लिए वेटलैंड घोषित होना बेहद जरूरी- प्रो. रावत
शहर निवासी पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत दशकों से झीलों व नदियों में वेटलैंड चिह्नित करने को संघर्षरत हैं। प्रो. रावत के अनुसार जैव विविधता संरक्षण के लिए वेटलैंड घोषित होना बेहद जरूरी है। पहाड़ में सदियों से वेटलैंड का संरक्षण होता रहा है। नैनीताल के अयारपाटा, शेर का डांडा तथा शेरवुड कालेज के पास भी ऐसी भूमि है, जिसका संरक्षण जरूरी है।
वेटलैंड से अतिक्रमण पर लगेगी रोक
उधर, वन क्षेत्राधिकारी नितिन पंत के अनुसार वेटलैंड घोषित होने पर अलग-अलग मानक व प्रतिबंध हैं। इसमें व्यावसायिक गतिविधियां हों या ना हो यह विशेषज्ञ समिति तय करेगी। यह है केंद्रीय अधिसूचना के मुख्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की ओर से संरक्षण व प्रबंधन किया जाएगा । किसी भी प्रकार के अतिक्रमण पर रोक लगाई जाएगी। जंगलों, झीलों, नदियों वन्य जीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा हो सके।