रामपुर तिराहा कांड: अदालत ने सुनाया फैसला, दोषी सिपाहियों को मिली यह सजा

देश दुनिया की खबरों से हम आपको रूबरू कराते रहते हैं। चर्चित रामपुर तिराहा कांड मामले से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है।

अदालत ने सुनाया फैसला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सामूहिक दुष्कर्म, लूट, छेड़छाड़ और साजिश रचने के मामले में अदालत ने आज आखिरकार फैसला सुनाया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई क। जिसमें दोनों दोषी सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा दोषियों पर 40 हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है। पीएसी के दो सिपाहियों अभियुक्त मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह पर 15 मार्च को दोष सिद्ध हो चुका था। आज फैसला सुनाया गया।

रामपुर तिराहा कांड


रिपोर्ट्स के मुताबिक 1 अक्टूबर 1994 का दिन था। तब आंदोलनकारियों का जत्था अलग उत्तराखंड की मांग लिए नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ गया‌। पहाड़ी इलाकों से 24 बसों में सवार होकर कुछ आंदोलनकारी दिल्ली की तरफ रवाना हो गए। जिन्हें पहले रुड़की और फिर नारसन बॉर्डर पर रोका गया। तभी रामपुर तिराहे पर प्रदर्शनकारी जैसे ही पहुंचे तो वहां पुलिस से उनकी कहासुनी हो गई। देखते ही देखते ये कहासुनी तेज नारेबाजी और पथराव में तब्दील हो गई। बच्चों महिलाओं के साथ अभद्रता हुई। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान पुलिस की फायरिंग व लाठीचार्ज में कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई तो कई लापता हो गए। महिलाओं के साथ सामुहिक दुष्कर्म हुआ। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।