उत्तराखंड: 15 नवम्बर को इगास (एकादशी) पर्व के चलते राज्य में रहेगा सार्वजनिक अवकाश, जानिए इस पर्व से जुड़ी मान्यता…

दीपावली के 11 दिन बाद मनाए जाने वाले इगास बग्वाल पर्व पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की कर दी है। 15 नवम्बर को इगास पर्व के चलते राज्य में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। इसके लिए शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।

दीपावली के ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाने की परंपरा

दीपावली को उत्तराखंड में बग्वाल कहा जाता है, बग्वाल दीपावली के ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाने की परंपरा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने पर लोगों ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। लेकिन, गढ़वाल क्षेत्र में राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली। इसीलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया।

दूसरी मान्यता के अनुसार

दूसरी मान्यता के अनुसार दीपावली के समय गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट, तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी। दीपावली के ठीक ग्यारहवें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी। युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दीपावली मनाई थी।

गढ़वाली में एकादशी को इगास कहा जाता

गढ़वाल में 4 बग्वाल होती है, पहली बग्वाल कर्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है, दूसरी अमावस्या को पूरे देश की तरह गढ़वाल में भी अपनी लोक परंपराओं के साथ मनाई जाती है, तीसरी बग्वाल बड़ी बग्वाल (दिलावी) के ठीक 11 दिन बाद आने वाली, कर्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, गढ़वाली में एकादशी को इगास कहते हैं, इसलिए इसे इगास बग्वाल के नाम से जाना जाता है, चौथी बग्वाल आती है दूसरी बग्वाल या बड़ी बग्वाल के ठीक एक महीने बाद मार्गशीष माह की अमावस्या तिथि को इसे रिख बग्वाल कहते हैं।