उत्तराखंड: नाबालिग से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, हाईकोर्ट में दायर की अपील

नैनीताल: नाबालिग के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में देहरादून की पॉक्सो कोर्ट से आरोपी को मिली फांसी की सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीएमओ देहरादून को अभियुक्त के चिकित्सा परीक्षण के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर सात दिसंबर को संबंधित जांच कराने और 13 दिसंबर को सील बंद लिफाफे में उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के लिए निर्देशित किया है।

यह है पूरा मामला

मामला 2 फरवरी 2016 का है। उस दिन देहरादून के त्यूणी रोटा खड्ड के पास एक नाबालिग युवती का शव पेड़ से लटका हुआ मिला था। सब की शिनाख्त नेपाली मूल की नाबालिग के रूप में हुई। पुलिस जांच में सामने आया की नाबालिग एक फरवरी 2016 को पेशे से वाहन चालक मोहम्मद अजहर निवासी अम्बाडी डाकपत्थर जिला देहरादून की मोटर साइकिल पर यहां देखी गई थी। पुलिस ने आरोपी के घर पर छापा मारा तो वह फरार था। जिसके बाद पांच फरवरी 2016 को पुलिस ने आरोपी मोहम्मद अजहर को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया कि उसने पहले नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया बाद में उसके शव को पेड़ से लटका दिया, ताकि यह आत्महत्या लगे।

हाईकोर्ट में दायर की अपील

देहरादून पॉक्सो कोर्ट की विशेष न्यायाधीश रमा पांडे ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी को 12 दिसंबर 2018 को फांसी की सजा और 70 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। इसके बाद आरोपी द्वारा आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। आरोपी के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि आरोपी की निचली अदालत में मेडिकल जांच नहीं हुई थी जबकि उसकी कॉलर बोन पहले से ही टूटी हुई है। ऐसे में वह दुष्कर्म कैसे कर सकता है। उसकी मेडिकल जांच कराकर रिकॉर्ड तलब किया जाए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने आरोपी के चिकित्सा परीक्षण के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन कर सात दिसंबर को संबंधित जांच कराने और 13 दिसंबर को सील बंद लिफाफे में उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दे दिए हैं।