केंद्र सरकार ने CDS की नियुक्ति के लिए नियमों में किया बदलाव, जानें

हमारे देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी देश के जवानों के कंधों पर होती है। बात चाहे थल सेना की हो, वायु सेना की हो या नौसेना की, तीनों मोर्चे पर सरहदों के यह प्रहरी चौबीसों घंटे मुस्तैद रहते हैं। अपनी निर्भीक और ईमानदार सेवा के दौरान इन जांबाज जवानों का भी सपना होता है कि वे भी देश के सर्वोच्च कमांडर बनें। लेकिन कई बार नियम कानून तो कई बार उम्र बाधा बन जाने की वजह से इनका सपना पूरा नहीं हो पाता था। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने जल, थल और वायु सेना के सर्विस रूल में बदलाव किए हैं जिससे अधिकारियों को देश के सर्वोच्च सैन्य पद पर सेवा करने का अवसर मिल पाएगा।‌

नियमों में किए गए बदलाव

सरकार ने संशोधन करते हुए तीनों सेनाओं के रिटायर प्रमुखों और थ्री स्टार रैंक के अधिकारियों को देश के शीर्ष सैन्य पद CDS के लिए योग्य करार दिया है। इससे पहले सेना प्रमुखों के पास  सेवानिवृत्ति के बाद CDS बनने का कोई विकल्प नहीं रहता था क्योंकि 60 साल की उम्र में वे रिटायर हो जाते थे, लेकिन अब CDS का पदभार संभालने के दिन अगर उम्र 62 या उससे कम हो तो इन्हें देश का सर्वोच्च सैन्य अधिकारी बनाया जा सकता है, वहीं पहले थ्री स्टार रैंक के अधिकारियों को CDS बनाने को लेकर कोई जिक्र नहीं होता था जिसे अब स्पष्ट किया गया है कि सेना में लेफ्टिनेंट जनरल, नौसेना में वाइस-एडमिरल और वायु सेना में एयर मार्शल भी CDS पद के लिए योग्य हैं।

2019 में हुआ था CDS पोस्ट का गठन

दिसंबर 2019 में सरकार ने CDS के पद के सृजन को मंजूरी दी थी। CDS रक्षा मंत्री के मुख्य सैन्य सलाहकार और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थाई अध्यक्ष के रूप में भी काम करते हैं। इसके अलावा, सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) को रक्षा मंत्रालय (एमओडी) में पांचवें विभाग के रूप में बनाया गया था, जिसमें सीडीएस इसके सचिव के रूप में कार्य कर सकें।

गौरतलब हो कि 1 जनवरी 2020 को जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया था, जिनका आकस्मिक निधन हेलीकॉप्टर क्रैश में 8 दिसंबर 2021 को हो गया था और तभी से CDS का पद खाली पड़ा है।

बेहतर तालमेल के लिए CDS का होना जरूरी

देश की तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल, प्रशिक्षण, संचालन, परिवहन एवं संचार के लिए तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर का होना जरूरी है क्योंकि इससे एक संयुक्तता बनती है और निर्णयों को कम समय और बेहतर ढंग से लिया जाता है।