अल्मोड़ा के विश्व प्रसिद्ध मंदिर चितई गोलज्यू मंदिर
के प्रबंधन व उपासना के अधिकार मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया ।
अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में चितई गोलू देवता मंदिर के प्रबंधन का कार्य प्रशासन को सौंपने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की
बता दें कि 2018 में नैनीताल निवासी अधिवक्ता दीपक रूबाली ने हाईकोर्ट में चितई गोलू देवता मंदिर के प्रबंधन का कार्य प्रशासन को सौंपने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि गोलज्यू मंदिर पर्वतीय क्षेत्र के लिए आस्था का केंद्र है।मंदिर का रखरखाव व श्रद्धालुओं के चढ़ावे की धनराशि का उचित उपयोग नहीं हो रहा है। मंदिर के चढ़ावे का उपयोग निजी आय की तरह हो रहा है। उन्होंने कहा था कि 2011 में चितई मंदिर के लिए समिति गठित हुई थी, जिसमें एक ही परिवार के सदस्य हैं,इसलिए ट्रस्ट बनाया जाए। जिसके बाद 2020 में नैनीताल हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा की निगरानी में कमेटी का गठन कर मंदिर प्रबंधन अपने हाथ में लेने पूजा पाठ का अधिकार पुजारी को देने का आदेश पारित किया था।जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में पर्यटन सचिव की ओर से मंदिर प्रबंधन कमेटी से संबंधित आदेश को रिकाॅल कर दिया था। साथ ही जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी की ओर से लिए गए प्रशासनिक आदेशों को निरस्त कर दिया था।
हाई कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर कर चुनौती दी
जिसके बाद अल्मोड़ा निवासी संध्या पंत ने हाई कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर कर चुनौती दी। इसमें उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में उन्हें सुनवाई का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। इसलिए हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया जाए। याचिका में कहा गया है कि उनके पूर्वजों ने वर्ष 1919 में एक पेड़ के नीचे गोलू मंदिर की स्थापना की और तब से उनका परिवार मंदिर का प्रबंधन कर रहा है।
उच्च न्यायालय के निर्णय में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी व न्यायमूर्ति जेके बनर्जी की पीठ ने अपील को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय के निर्णय में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया। अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए आदेश पर मुहर लगा दी ।