सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानन्द जी की पुण्यतिथि के अवसर पर योग विज्ञान विभाग में स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र का उद्घाटन किया गया

योग विज्ञान विभाग ,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानन्द जी की पुण्यतिथि (4 जुलाई ,2021) के अवसर पर योग विज्ञान विभाग में स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र का उद्घाटन सिंह जीना विश्वविद्यालय के मा. कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी, कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में परिसर निदेशक प्रो  जगत सिंह बिष्ट,मुख्य वक्ता रूप में रामकृष्ण कुटीर,अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद, विशिष्ट अतिथि के रूप में सामाजिक चिंतक श्री सुनील जी, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ बिपिन चंद्र जोशी, विशेष कार्याधिकारी डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट आदि ने किया।
इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद शोध अध्ययन केंद्र का योग विज्ञान विभाग में उद्घाटन किया गया और उसके बाद गोष्ठी का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर योग विभाग की छात्राओं ने ‘हे शारदे..’ गीत से सरस्वती वंदना गीत का गायन और अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत गाया।

योग विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट ने स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र के विषय में विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की

योग विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट ने स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र के विषय में विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ओजस्वी व्यक्ति रहे हैं।  भारत के धर्म-संस्कृति को विश्वपटल पर सुशोभित करने के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है।  माननीय कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी के प्रयासों से यह संस्थान खुल गया है,यह गर्व का विषय है। उन्होंने सभी अतिथियों का आभार जताया।
इस अवसर पर अपनी वार्ता रखते हुए डॉ ललित जलाल ने स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी जानकारी दी। डाइट के प्राचार्य डॉ हरीश जोशी ने विवेकानंद से जुड़े अनछुए संस्मरणों को सुनाया। प्रो. शेखर जोशी ने विवेकानन्द को भारत का गौरव बताया और प्रो.सोनू द्विवेदी ने उनकें सम्बन्ध  अपनी बात रखी।

मा. कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किये

कार्यक्रम संरक्षक के तौर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के मा. कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को अपनाकर हम बेहतर जीवन जी सकते हैं।  सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय ने समाज के सापेक्ष कई कार्य किये हैं। इसी क्रम में स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना भी जनमानस के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों से मैं सदा से ही प्रेरित रहा हूँ और यह स्थापित किया गया केंद्र मेरे स्वप्नों का केंद्र है। भविष्य में इसको राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का कार्य करेंगे।
अपनी संस्कृति, धरोहरों और जड़ों से ईमानदारी से जुड़े रहने का उन्होंने युवाओं से आह्वान किया। कुलपति ने कहा कि हमें इस हिमालय के मान-सम्मान को बनाये रखना है। हम इस संस्थान में शोध आदि को बढ़ावा देंगे। अन्य संस्थाओं को भी हम जोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि योग विभाग से यह अभी सम्बद्ध है। भविष्य में यह स्वतंत्र केंद्र के तौर पर देश में अपनी  पहचान बनाएगा। उन्होंने कहा कि हम इन अवसरों का लाभ उठाएं। पर्वतीय युवाओं को जोड़ने, संस्कृति, पर्यावरण, कला, इतिहास को लेकर सजगता  से हमारा विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। सभी विभाग उत्सुकता से काम कर रहे हैं। हमारे भीतर एक अच्छी सोच पैदा हो रही है। हम सकारात्मक होकर कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 1857 के आस-पास के कालखंड में स्वामी जी जैसे विचारकों ने विचार क्रांति दी।  स्वामी जी ने युवाओं को प्रेरणा दी है। हमें उनके विचारों को आगे रख अपनी कर्मशक्ति से समाज के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।
कोविड के दौर को लेकर उन्होंने कहा कि हमें चुनौतियों का सामना कर अवसर खोजने होंगे। हमें ई लर्निंग के लिए तैयार होना होगा। उन्होंने योग विभाग के विभागाध्यक्ष और उनकी टीम को बधाइयाँ दी।

मुख्य वक्ता स्वामी ध्रुवेशानंद ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किये

मुख्य वक्ता स्वामी ध्रुवेशानंद (अध्यक्ष रामकृष्ण कुटीर) ने कहा कि अल्प समय में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने स्वामी विवेकानन्द जी को लेकर अध्ययन केंद्र की  नींव रखी है,वो उसके लिए बधाई के पात्र हैं।  भारत के प्रति विवेकानंद जी का अगाध प्रेम था। अल्मोड़ा में आकर उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई।  काकड़ीघाट में पीपल के वृक्ष के नीचे उन्होंने ज्ञान लिया। उन्होंने यहां साधना की। उन्हें अल्मोड़ा से काफी प्रेम रहा है। कर्बला, काकड़ी घाट, रघुनाथ मंदिर में उन्होंने अपने चरण रखे। जब वह काकड़ी घाट से अल्मोड़ा को पैदल आ रहे थे तो अल्मोड़ा में कर्बला के पास उनको मूर्छा आई, वहां पर उनको मुस्लिम भाई ने ककड़ी खिलाकर जीवनदान दिया। ऐसे ही रघुनाथ मंदिर के पास से उन्होंने जनता को संबोधित किया। उन्होंने विश्वभर में और समस्त भारत का भ्रमण कर भारतीय संस्कृति की अलख जगाने के लिए कार्य किया। साथ ही नारियों को सम्मान दिलवाने के लिए कार्य किया। नारियों को शक्ति का दर्जा उन्होंने दिया। भारत के आदर्श, भारत की संत परंपरा को उन्होंने जिया और निभाया।

हमारी शिक्षा व्यवस्था को लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से बाहर आने की जरुरत है

विशिष्ट अतिथि के रूप में सामाजिक चिंतक श्री सुनील जी ने कहा कि विवेकानन्द जी युवाओं को तपाकर देश के लिए तैयार करना चाहते थे।  उन्होंने विवेकानंद के जीवन के विविध पहलुओं पर वार्ता रखी। उन्होंने देश को सर्वोपरि बताया। कार्यक्रम के संबंध में कहा कि धैर्य रखना होगा। परिणाम बाद में निकलेंगे।  योग जैसी विधाएं सामने आएंगी। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानन्द  शोध एवं अध्ययन पीठ की स्थापना को लेकर बधाइयाँ दी। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था को लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से बाहर आने की जरुरत है।  तथाकथित बुद्धिजीवियों ने हमें भ्रमित करने वाला इतिहास पढ़ाया है। हमें भारतीय संस्कृति को अपनाना होगा।

कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में परिसर निदेशक प्रो.जगत सिंह बिष्ट ने योग विभाग के अध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट को बधाई दी

कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में परिसर निदेशक प्रो.जगत सिंह बिष्ट ने योग विभाग के अध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट को बधाई दी। उन्होंने स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना को सराहनीय बताया और कुलपति जी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद एक विशाल महाकाव्य हैं। वे सामाजिक चिंतन, भारतीय चिंतन, आध्यात्मिक चिंतन के अग्रदूत हैं।  एक युवक के रूप में उन्होंने भारत की आत्मा को विश्व के समक्ष रखा।  उन्होंने एक छोटे से संभाषण में भारत की आत्मा को शिखर तक पहुंचाया। स्वामी जी का कई दृष्टि से महत्व है। उन्होंने कहा कि भारतीयता के लिए हमें विवेकानंद जी के विचारों का अनुसरण करना होगा। स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों को गहनता से पढ़ने की जरूरत है। उनके जीवनदर्शन को पढ़ना और आत्मसात करना होगा। युवाओं को देश के लिए कार्य करने के लिए इनसे प्रेरणा लेने की जरुरत है। एक उपलब्धि के रूप में विवेकानंद जी को लेकर यह संस्थान यहां की पहचान बनेगा।

कार्यक्रम का संचालन योग विभाग के विभागाध्यक्ष  डॉ नवीन भट्ट ने किया

इस अवसर पर मोनिका भैसोड़ा व रोहिणी पंत ने स्वामी विवेकानंद पर कविता का पाठ किया। योग विभाग की छात्राओं ने चरैवैति चरैवैति जैसे गीत गाकर माहौल राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत किया । कार्यक्रम का संचालन योग विभाग के विभागाध्यक्ष  डॉ नवीन भट्ट ने किया ।

इस अवसर पर यह लोग रहे मौजूद

इस अवसर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा के डॉ. डी. एस. बिष्ट (विश्वविद्यालय विशेष कार्याधिकारी),  लियाकत अली (खेल प्रभारी),  डॉ. ललित चंद्र जोशी (मीडिया प्रभारी), प्रोफेसर शेखर चंद्र जोशी, डॉ नंदन सिंह बिष्ट( निदेशक NRDMS एवं समन्वयक,GIS),  बिपिन जोशी, प्रो. सोनू द्विवेदी (संकायाध्यक्ष,दृश्यकला), विनीत कांडपाल, डॉ देवेंद्र धामी (कूर्मांचल, छात्रावास अधीक्षक), श्री रवींद्र पाठक, आलोक वर्मा,  श्री लल्लन सिंह, गिरीश अधिकारी, हेमलता अवस्थी, डॉ. मनोज बिष्ट,डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया, दिनेश कुमार पटेल, डॉ प्रेम प्रकाश पांडेय, डॉ शोभा रावत, चंदन बिष्ट, भावना,मदन चड्ढा, मुरली कापड़ी, डाइट के प्राचार्य डॉ हरीश जोशी भावना अधिकारी, ललिता तोमक्याल आदि कई शिक्षक, छात्र-छात्राएं एवं योग के प्रशिक्षक शामिल हुए।