श्री भुवनेश्वर महादेव रामलीला समिति कर्नाटक खोला में महिलाओं की तीन दिवसीय रामलीला का विधिवत प्रारंभ हो गया जिसमें रावण अत्याचार , देवगणों द्वारा भगवान बृह्मा और विष्णु की स्तुति , राम और सीता जन्म , ताड़का एवं सुबाहु वध , मारीच उद्घार , धनुष यज्ञ / सीता स्वयंवर , परशुराम- लक्ष्मण संवाद , मंथरा – कैकयी संवाद , दशरथ – कैकयी संवाद और राम वनवास का मंचन किया गया । देर रात्रि तक चले इन प्रसंगों ने रामलीला मैदान में समा बांध दिया और भारी संख्या में दर्शकों ने पूरी लीला का आनंद लिया ।
ऐतिहासिक कुमाउनी शैली की रामलीलाओं के इतिहास में जुड़ा एक नया अध्याय-
इतिहास में प्रथम बार आयोजित की जा रही महिलाओं की इस रामलीला में अभिनय कर रही सभी कलाकार महिलाएं हैं । समिति के संस्थापक एवं संरक्षक पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि महिलाओं की इस रामलीला के प्रारंभ होते ही 190 से अधिक वर्ष पुरानी इन ऐतिहासिक कुमाउनी शैली की रामलीलाओं के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है, जिसके लिये उन्होंने मंचन से जुड़ी समस्त महिलाओं तथा समिति के इस कालजयी प्रयास के लिये सभी सदस्यों, कलाकारों एवं कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई प्रेषित की और कहा कि इतिहास के इस नये अध्याय के साक्षी बनकर वे गौरवांवित और अत्यन्त प्रफुल्लित अनुभव कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि नारी शक्ति हर कार्य करने में पूर्णतः सक्षम है और प्रथम बार मंच में अभिनय कर रही महिलाओं द्वारा मंचित यह महिलाओं की रामलीला इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी एक सोच को जिस प्रकार समिति और इन महिला कलाकारों ने मंच के माध्यम से साकार किया है उसकी शब्दों में व्याख्या कर पाना असंभव है। ये महिलाओं की रामलीला समिति द्वारा नारी सशक्तिकरण की ओर एक और कदम है और धीरे धीरे विलुप्त हो रही इन ऐतिहासिक रामलीलाओं के संरक्षण की दिशा में एक नया प्रयास है । रंगकर्म के क्षेत्र में महिलाएं अब किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। रामलीला/सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से इन्होंने अपने अभिनय, कौशल का लोहा मनवाया है और महिलाओं को जागरूक करने का कार्य किया है । रंगमंच सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि प्रतिभा है और यह चेहरा नहीं किरदार देखता है । महिलाओं को इसे आत्मसात करके मंच तक पहुंचने में समय जरूर लगा लेकिन अपनी भागीदारी बराबरी और कहीं उससे भी ज्यादा सुनिश्चित की ।
कलाकारों ने मोहा मन-
लंकेश रावण की भूमिका में डा. विद्या कर्नाटक , ताड़का – हर्षिता तिवारी , मारीच – रेखा जोशी , सुबाहु – सुनीता बगड़वाल , राम – दिव्या पाटनी , लक्ष्मण – किरन कोरंगा , सीता – वैभवी कर्नाटक, परशुराम – भावना मल्होत्रा , जनक – रीता पान्डे , विश्वामित्र – मीना भट्ट, कैकयी – लवी जोशी , मंथरा – मीनाक्षी जोशी , देवगण – सीमा कर्नाटक, सीता रावत , वन्दना जोशी,मंजू गौड़,पूनम कर्नाटक,कंचन पाण्डे, पूजा बगडवाल,आशा मेहता, मिनाक्षी जोशी आदि ने अपने मनमोहक अभिनय से सभी का मन मोह लिया ।