अल्मोड़ा: धूमधाम से मनाई डाॅ.शमशेर सिंह बिष्ट की 78वीं जयन्ती, भू- कानून व मूल निवास पर कहीं यह बात

अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में शमशेर स्मृति समारोह के तत्वाधान मे आज डा. शमशेर सिंह बिष्ट की 78वी जयन्ती मनाई गई।

भू- कानून तथा मूल निवास पर संगोष्ठी आयोजित

इस मौके पर समसामयिक लोक परिदृश्य , भू- कानून तथा मूल निवास पर संगोष्ठी आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता रेवती बिष्ट तथा संचालन दयाकृष्ण काण्डपाल ने किया। इस सम्बन्ध में अपनी बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखण्ड़ की लड़ाई ही जल ,जंगल, जमीन की ही लड़ाई रही है किन्तु राज्य बनने के बाद वर्तमान सरकारों ने पहाड़ों की जल, जंगल , जमीन की लूट मचाई है। सरकारों ने इसकी खूली लूट को प्रोत्साहित कर दिया है। भूमि खरीद की सीमा समाप्त कर दी है। मूल निवास का उद्देश्य ही समाप्त कर दिया है। पन्द्रह वर्ष से जो भी राज्य मे रह रहा है वह नौकरियों पर स्थानीय लोगों के हकों को प्रभावित कर रहा है।

राज्य के विकास के लिये भू प्रबंधन बहुत जरूरी

वक्ताओं ने कहा कि 1962 के बाद कोई भूमि बन्दोबस्त नही हुआ है। जो बहुत जरूरी है। चैकबन्दी के लिये यह जरूरी है कि सबसे पहले नाप खेतों के बीच मे बेनाप भूमि को भी इसमे शामिल किया। पहाडों मे जो भूमि बंदोबस्त हुआ है वह केवल खेती की जमीन का हुआ है। चारागाह ,पनघट  इसमे शामिल नही है। जबकि किसानों का प्रमुख व्यवसाय खेती के अलावा पशुपालन भी है। किन्तु सरकार की तरफ से पशुगणना तो की जाती है पर पशुओं का चारा कहा से आता है समाज की पशुपालन के लिये  जमीन की क्या आवश्यकता है इस पर गौर नही किया गया‌। वक्ताओं ने कहा कि राज्य की जरूरतों के  अनुरूप  भू कानूनों मे अमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। किसी भी राज्य के विकास के लिये भू प्रबंधन बहुत जरूरी है। यदि समय रहते  इसमे सुधार नही हुआ तो पहाड़ की राजनैतिक हैसियत भी समाप्त हो जायेगी। पहाड़ के युवा नशे की गिरफ्त मे फंसते जा रहें हैं।

दी श्रद्धांजलि

इस अवसर पर  शमशेर सिंह बिष्ट के नेतृत्व मे उत्तराखण्ड़ मे किये गये जन आन्दोलनों को याद किया गया। वन आन्दोलन नशा विरोधी आन्दोलन, राज्य आन्दोलन आदि तथा डाॅ.बिष्ट को भावभीनी श्रद्धान्जली दी गई।

व्यक्त किए गए विचार

आज इस कार्यक्रम में  जंगबहादुर थापा ,पूरन चन्द्र तिवारी ,डा हयात सिह रावत ,विशन दत्त जोशी , एड जगत रौतेला , भूपाल सिंह मेहता , अजय सिंह मेहता , अजयमित्र सिह बिष्ट , शिवेन्द्र गोस्वामी , एस एस कपकोटी ,भुवन जोशी ,  रमेश चन्द्र थापा , आशिस जोशी ,अजय थापा , संजय पाण्ड़े,देव सिंह टगडिया ,हर्ष काफर , दयाकृष्ण काण्डपाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।