अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा में 30 व 31 अगस्त को मोहल्ला चौसार ,मातृ सदन में सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका मुन्नी पन्त के आवास में साठूं आठूँ (डोर,दुबड़े) की पूजा धूमधाम से मनाई गई।
खास है मान्यता
कुमांऊ में यह एक लोकपर्व के रूप में मनाया जाता है। जो भाद्रपद माह की सप्तमी एवम अष्टमी को मनाया जाता है। इस त्यौहार में शिव (महेश्वर) को दामाद के रूप में व पार्वती (गौरा) को बेटी/दीदी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि यह पर्व भगवान शिव व पार्वती के बीच मनमुटाव और फिर मेलमिलाप की कथा से जुड़ा है। जिसमें देवी पार्वती अपने मायके आ जाती हैं। जिस पर भगवान शिव उन्हें मना कर वापस ससुराल ले जाते हैं। यह त्यौहार भाद्रपद शुक्लपक्ष की पंचमी से प्रारंभ होता है, जिसे बिरुड़ पंचमी भी कहते हैं। इस दिन तांबे या कांसे के बर्तन में पांच या सात अनाज भिगाये जाते हैं।
सप्तमी के दिन महिलाएं व्रत करती हैं तथा डोर नामक पीला धागा धारण करती हैं, जो अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक होता है। अष्टमी के व्रत के दिन गौरा महेश्वर की मूर्ति बनाकर उसका श्रृंगार किया जाता है तथा दुबड़ा (लाल धागा) गले में धारण किया जाता है। पूजा के बाद मूर्तियों का विसर्जन प्राकृतिक जल स्रोतों में किया जाता है। पूजा के बाद बिरुडों (अंकुरित अनाज) को छोंक कर प्रसाद के रूप में बांटा व खाया जाता है।
गाए भजन
पूजा में नलिनी पन्त,हिमांगिनी त्रिपाठी,हेमा त्रिपाठी,सरिता त्रिपाठी,अनीता अग्निहोत्री,कमला अग्निहोत्री,तारा अग्निहोत्री,हेमा अग्निहोत्री,अनीता पांडे,रक्षा पांडे,ममता पन्त,लक्ष्मी पन्त,दीपा तिवारी,दीपा कांडपाल,चंदू पन्त,उमा तिवारी,बसन्ती कांडपाल,रितु कांडपाल हरिप्रिया पांडे एवम निशा अग्निहोत्री आदि उपस्थित रहे। पूजा के दौरान करिए कृपा दीनानाथ प्रभू,शंकर बोलो तो सही नैना खोलो तो सही,जय दुर्गे दुर्गति परिहारिणी,शिवजी शरण में तेरी चिंता मेरी मिटा दो आदि भजन गाये गए। जिससे माहौल भक्ति के रंग में डूब गया।