May 19, 2024

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अल्मोड़ा:वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा हिमालय दिवस के अवसर पर ऑनलाइन निबन्ध प्रतियोगिता का किया गया आयोजन

वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा अमृत महोत्सव के अन्तर्गत हिमालय दिवस के अवसर पर एक ऑनलाइन निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न विषयों के कुल 14 प्रतिभागियों ने भाग लिया । प्रतिभागियों द्वारा अपने निबन्ध के माध्यम से हिमालय के पौराणिक एवं सांस्कृतिक महत्व, वनाग्नि के दुष्प्रभाव, शहरी क्षेत्रों में बढता प्रदूषण नगरों एवं गांवों में हो रही जल की कमी, दैवीय आपदायें, जैवविविधता संरक्षण में महिलाओं की भूमिका, हिमालयी क्षेत्र का पारम्परिक ज्ञान के संकलन की आवश्यकता, यहां की आजीविका पर कोविड-19 के प्रभाव के अध्ययन की आवश्यकता तथा हिमालयी क्षेत्र में सुनियोजित विकास कैसे सम्भव हो सकता है, पर अपने-अपने विचारों से निर्णायक मण्डल एवं वेबिनार में जुडे समस्त छात्र- -छात्राओं, शिक्षकों एवं शोधार्थियों को अवगत कराया गया।

केवल राजनैतिक स्वार्थ अथवा अल्प समय की योजनायें निर्मित न की जाये

वक्ताओं ने बताया कि पहाड़ की विकास योजनायें में यहां की भौगोलिक परिस्थिति एवं दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखकर तैयार की जानी चाहिए। केवल राजनैतिक स्वार्थ अथवा अल्प समय की योजनायें निर्मित न की जाये। विभागाध्यक्ष डा० बलवन्त कुमार ने यह आश्वस्त किया कि विद्यार्थियों की हिमालयी क्षेत्र के प्रति जो सोच है, जिससे कि सन्तुलित विकास हो तथा क्षेत्र की तमाम प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान न पहुंचे, ऐसी शोध परियोजनायें विश्वविद्यालय स्तर पर संचालित की जायेंगी। निर्णायक मण्डल की अध्यक्ष डा० जया काण्डपाल, असि०प्रो० जन्तु विज्ञान विभाग, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बाजपुर ( उधम सिंह नगर) ने अपने सम्बोधन में जैव विविधता संरक्षण की आवश्यकता बताया ।

हिमालयी क्षेत्र में वनों का विशेष महत्व

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं निर्णायक मण्डल की सदस्य एवं विभाग की भूतपूर्व छात्रा  तनुजा परिहार, सहा0 वन संरक्षक, देहरादून ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिमालयी क्षेत्र में वनों का विशेष महत्व है, वन हमें जीवित रहने के लिए सब कुछ प्रदान करते हैं तथा बदले में हमें इनका संरक्षण करना चाहिए, ताकि ये वन हमारी आने वाली पीढियों को सेवायें दे सकें। तनुजा परिहार ने विभाग की उपलब्धियों की सराहना की एवं पठन-पाठन में विद्यार्थियों से मन लगा कर मेहनत करने को कहा एवं जी०बी०पी०एन०आई०एच०इ०, कोसी कटारमल के वैज्ञानिक एवं निर्णायक मण्डल के सदस्य डा० आशीष पाण्डे ने सभी प्रतिभागियों की सराहना करते हुए हिमालयी क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं पर बेहतर शोध की आवश्यकता बताई ।

हिमालय के संरक्षण के लिए नई पीढी को जागरूक करना होगा

इससे पहले कार्यक्रम सचिव डा० रवीन्द्र कुमार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया, डा० मन्जूलता उपाध्याय ने सभी अतिथियों का परिचय दिया, विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डा० बलवन्त कुमार ने सभी प्रतिभागियों को हिमालयी प्रतिज्ञा दिलायी तथा इन्होंने कुलपति जी प्रो० एन०एस० भण्डारी के संदेश में हिमालय के प्रति उनके चिन्तन से अवगत कराया, जिसमें उन्होंने बताया कि हिमालय के संरक्षण के लिए नई पीढी को जागरूक करना होगा। उन्होंने सभी को हिमालय दिवस की शुभकामनायें दी।

प्रथम स्थान पर अंजली भाकुनी

कार्यक्रम का संचालन डा० रवीन्द्र कुमार ने किया। प्रतियोगिता में हिमानी तिवारी, पूजा जोशी, प्रिया लोहनी, लक्ष्मण गिरी गोस्वामी, नेहा पाण्डे, कृतिका रानी, सलोनी पंचपाल, ममता पाण्डे, मनीष ममगई. रश्मि काण्डपाल, प्रिया मेहता, नेहा बिष्ट, अंजली भाकुनी एवं प्रियंका मेहता ने निबन्ध के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किये। प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा निर्णायक मण्डल की अध्यक्ष डा० जया काण्डपाल ने की। इसमें प्रथम स्थान पर अंजली भाकुनी, द्वितीय स्थान पर ममता पाण्डे एवं प्रियंका मेहता तथा तृतीय स्थान पर मनीष ममगई हिमानी तिवारी एवं लक्ष्मण गोस्वामी रहे ।

60 छात्र-छात्राओं ने आनलाइन जुड़कर इस हिमालय दिवस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया

विभाग की प्राध्यापिका डा० मन्जूलता उपाध्याय ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक डा० धनी आर्या, डा० सुभाष चन्द्र डा० मनीष त्रिपाठी, प्रमोद भट्ट,  नन्दा बल्लभ सनवाल, शोधार्थी रीतिका टम्टा, पूजा नेगी, मुक्ता मर्तोलिया, भावना पाण्डे, सागर बिष्ट, प्रिया लोहनी, प्रिया मेहता. प्रियंका मेहता, मनीष ममगई सहित लगभग 60 छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन जुड़कर इस हिमालय दिवस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।